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चंपाई सोरेन के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा को दूसरा झटका लगा है। पार्टी से निलंबित लोबिन हेम्ब्रम ने आज भाजपा का दामन थाम लिया है। लोबिन के आने से संताल में भाजपा मजबूत हुई है।
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संताल परगना के बोरियो से निर्वाचित लोबिन हेम्ब्रम ने हेमंता बिस्वा सरमा, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, चंपाई सोरेन और सीतो सोरेन की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली।
लोबिन हेम्ब्रम ने झारखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. संताल परगना के लोकप्रिय नेता 5 बार विधायक रह चुके हैं।
लोबिन हेम्ब्रम ने इस मौके पर कहा, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से उनकी कोई नाराजगी नहीं है। पार्टी के नए नेताओं से है। उस पार्टी में पुराने नेताओं की कोई इज्जत पार्टी में नहीं रह गई है. धीरे-धीरे पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता झामुमो से किनारा कर रहे हैं। अभी और कई औऱ नेता पार्टी छोड़ेंगे।
JMM ,से निलंबित लोबिन हेम्ब्रम ने आज रांची में बीजेपी जॉइन की। इस दौरान असम सीएम और झारखंड चुनाव प्रभारी हिमंता बिस्वा, कल ही बीजेपी में शामिल हुए चंपाई सोरेन समेत पार्टी के कई सीनियर लीडर मौजूद रहे।
भाजपा में शामिल होते बोले- जेएमएम के कई वरिष्ठ नेता बदलेंगे पाला
लोबिन ने आगे कहा, मैंने जेएमएम को सजाने और संवारने का काम किया। आज भी मैं गुरुजी का भक्त हूं, उन्होंने मुझे राजनीति सिखाई है। चंपाई दा के साथ मिलकर जेएमएम को एक लक्ष्य तक पहुंचाने का संकल्प लिया था। गुरु जी के समय का झामुमो आज नहीं है वो पूरी तरह बदल गया है। शराब नीति का जिक्र करते हुए लोबिन ने कहा कि मैंने छत्तीसगढ़ शराब नीति का मैंने सदन के अंदर विरोध किया था।
बदल रही है संताल की डेमोग्राफी
संथाल परगना की डेमोग्राफी पर भी उन्होंने अपनी बात रखी और कहा, बांग्लादेशियों की वजह से आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है। झारखंड दुर्गति हो रही है। मैंने प्रधानमंत्री और देश के गृह मंत्री पर विश्वास जताते हुए बीजेपी का दामन थामा है। आदिवासियों को उसके हक और अधिकार दिलाने के लिए हम मिलकर काम करेंगे।
लोबिन हेंब्रम ने लोकसभा चुनाव में राजमहल लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। पार्टी की तरफ से तत्कालीन सांसद विजय हांसदा को सीट सौंपी गई थी। जेएमएम ने उनपर एक्शन लेते हुए 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया।
बीजेपी में शामिल हुए लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि जेएमएम से कोई नाराजगी नहीं है, पार्टी लीडर से है। गुरू जी से मैंने राजनीति सीखी है।
कैसा रहा है राजनीतिक सफर
लोबिन का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। लोबिन हेम्ब्रम ने अपनी पत्नी के मजदूरी कर आजीविका चलाते थे। झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान उन्हें काफी दिनों तक गोड्डा, भागलपुर और दुमका जेल में रहना पड़ा। शिबू के साथ मिलकर महाजन और शोषण के खिलाफ लड़ते थे 1995 में उन्हें जब जेएमएम से टिकट नहीं मिला, तो बगावत कर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई। विधायक के पिता रघु हेंब्रम प्राइमरी स्कूल के शिक्षक थे। अपने पिता की इच्छा के अनुसार उन्होंने बोरियो शिबू सोरेन कॉलेज की स्थापना की। एक बार झारखंड के उत्कृष्ट विधायक का पुरस्कार मिला।
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