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Foreign Money In Bangladesh: बांग्लादेश में भारी विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा, जिसके बाद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का गठन हुआ. युनूस सरकार बनते ही पड़ोसी देश में जैसे लॉटरी लग गई हो. शांति बहाली के बाद पड़ोसी देश में इतना पैसा आ रहा है कि सरकार ने कभी उम्मीद नहीं की होगी. ढाका ट्रिब्यून रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश को प्रवासियों से मिला धन अगस्त के पहले 28 दिनों में दो बिलियन डॉलर से भी ज्यादा रहा. इसको देखकर यह समझा जा सकता है कि पड़ोसी देश एक बार फिर पटरी पर दौड़ने के लिए तैयार हो रहा है.
बांग्लादेश बैंक की रेमिटेंस रिपोर्ट में बताया गया कि प्रवासी बांग्लादेशियों ने औपचारिक चैनल के माध्यम से 28 अगस्त तक 2.07 बिलियन डॉलर रकम भेजी हैं. बीते साल 2023 के अगस्त में रेमिटेंस का फ्लो 1.43 बिलियन डॉलर था. वहीं बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के दौरान यानी की जुलाई 2024 में पिछले 10 महीनों में यह रकम सबसे कम रही. पड़ोसी देश में जुलाई के महीने में रेमिटेंस लगभग 1.91 बिलियन डॉलर था, लेकिन छात्र आंदोलन और छुट्टियों के कारण 19 से 23 जुलाई तक बांग्लादेश में बैंक बंद थे.
यही नहीं 5 दिनों तक ब्रॉडबैंड इंटरनेट लगातार बंद रहे थे. इन सब से हटकर यदि हम मोबाइल इंटरनेट सेवा की बात करें तो 10 दिन तक वह भी बंद थी, जिसके कारण रेमिटेंस में भारी गिरावट देखने को मिली.
भारत को भी उठाना पड़ा खामियाजा
बांग्लादेश में हुए तख्तापलट का खामियाजा भारत को भी उठाना पड़ा है. बांग्लादेश को बिजली भारत की कंपनियों से सप्लाई होती थी. अब इन भारतीय कंपनियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, भारत की पांच बिजली कंपनियों का बांग्लादेश पर एक बिलियन डॉलर बकाया है. भारत की करेंसी में इस रकम की बात करें तो यह लगभग 8400 करोड़ रुपए बनती है. इसमें सबसे बड़ी रकम यदि किसी कंपनी की फंसी है तो वह है अडानी पावर की.
यही नहीं सेल एनर्जी इंडिया, पीटीसी इंडिया, एनटीपीसी, एनटीपीसी डीवीसी, एनटीपीसी त्रिपुरा और पावर ग्रिड भी शामिल है. भारत हमेशा से ही पड़ोसी देश की हर मुश्किल में मदद करता रहा है. झारखंड के गोड्डा में अडानी पावर के पास 1.6 गीगावॉट बिजली पैदा करने वाला प्लांट है, जहां से बांग्लादेश के लिए एक खास लाइन से बिजली सप्लाई की जाती है.
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