[ad_1]
-अफगानिस्तान की खिलाड़ी ने ताइक्वांडो में जीता कांस्य पदक पेरिस, एजेंसी। अफगानिस्तान की जाकिया खुदादादी ने शरणार्थी पैरालंपिक टीम के लिए पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया। जाकिया ने गुरुवार को ताइक्वांडो में महिलाओं के 47 किग्रा वर्ग में तुर्की की एकिंसी नूरसिहान को हराकर कांस्य पदक जीता। पेरिस के ग्रांड पैलेस में मुकाबले के खत्म होने के बाद जाकिया खुशी से झूम उठी। उन्होंने अपना हेलमेट हवा में उछालकर जश्न मनाया।
भावुक जाकिया ने कहा, यह एक अविश्वसनीय पल है, जब मुझे एहसास हुआ कि मैंने कांस्य पदक जीत लिया है तो मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। यहां तक पहुंचने के लिए मुझे बहुत कुछ करना पड़ा। यह पदक अफगानिस्तान की सभी महिलाओं और दुनिया के सभी शरणार्थियों के लिए है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन मेरे देश में शांति होगी। यह पदक मेरे लिए सब कुछ है, मैं इस दिन को कभी नहीं भूलूंगी। दर्शकों से मुझे मिले जबरदस्त समर्थन के कारण मैं जीत दर्ज करने में सफल रही।
गुप्त जिम में छुपकर किया अभ्यास : जाकिया एक बांह के बिना पैदा हुई थीं। उन्होंने 11 साल की उम्र में पश्चिमी अफगानिस्तान में अपने गृहनगर हेरात में एक गुप्त जिम में छुप कर ताइक्वांडो का अभ्यास करना शुरू किया था। देश में 2021 में तालिबान के उदय के बाद महिलाओं को खेलों में भाग लेने से करने से रोक दिया गया था। वह किसी तरह अफगानिस्तान से निकलने में सफल रहीं थी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की याचिका के बाद उन्हें अपने देश के लिए टोक्यो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई। टोक्यो खेलों के बाद वह पेरिस में बस गईं। जहां उन्हें पेरिस 2024 पैरालंपिक में शरणार्थी टीम के साथ प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिला।
[ad_2]
Source link