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Arms Smuggling Case: डेनमार्क की एक कोर्ट ने गुरुवार (29 अगस्त) को 29 साल पुराने हथियार तस्करी मामले में शामिल होने के आरोपी नील्स होल्क उर्फ किम पीटर डेवी के भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज कर दिया. जो पुरुलिया कांड के मामले में वांछित है. कई सालों से नई दिल्ली डेवी के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, ताकि उस पर विद्रोही समूह को हथियार पहुंचाने के मामले में भारतीय अदालत में मुकदमा चलाया जा सके.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, डेनमार्क की एक कोर्ट ने गुरुवार (29 अगस्त) को कहा कि उसने 1995 के हथियार तस्करी मामले में वांछित चल रहे एक डेनिश नागरिक के प्रत्यर्पण के भारत के अनुरोध को मानवाधिकार उल्लंघन के जोखिम का हवाला देते हुए खारिज कर दिया है. हालांकि. होल्क ने 1995 में पूर्वी भारत में एक मालवाहक विमान से असॉल्ट राइफलें, रॉकेट लांचर और मिसाइलें गिराने में शामिल होने की बात स्वीकार की थी. ये हथियार देश के एक विद्रोही समूह के लिए थे.
होल्क को भारत भेजना डेनमार्क के प्रत्यर्पण अधिनियम का उल्लंघन- कोर्ट
डेनमार्क की एक कोर्ट ने फैसला सुनाया कि आरोपी होल्क को भारत भेजना डेनमार्क के प्रत्यर्पण अधिनियम का उल्लंघन होगा. क्योंकि इस बात का डर है कि उसके साथ मानवाधिकारों पर यूरोपीय संधि का उल्लंघन करते हुए व्यवहार किया जाएगा. इस दौरान 62 वर्षीय होल्क ने कहा कि उन्हें प्रत्यर्पित किये जाने पर अपनी जान को खतरा है.
होल्क की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती- डेनमार्क कोर्ट
सरकारी वकील एंडर्स रेचेंडोर्फ, जिन्होंने पिछले साल होल्क को भारत में मुकदमे के लिए सौंपने के लिए नामित किया था. उन्होंने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में बताया कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि इस फैसले के खिलाफ अपील की जाएगी या नहीं.
बचाव पक्ष के वकील जोनास क्रिस्टोफरसन ने रॉयटर्स को बताया, “भारत द्वारा दी गई गारंटी वैध नहीं है. क्रिस्टोफरसन ने कहा, “सरकारी वकील और भारत के बीच शर्तों पर बातचीत करते हुए 6 साल हो गए हैं. अब अदालत कहती है कि उसकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती.
जानें पुरुलिया हथियार गिराने का मामला क्या है?
17 दिसंबर 1995 को एंटोनोव एएन-26 विमान ने पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के जौपुर गांव के ऊपर हथियारों से भरी खेप गिराई थी. इसमें सैकड़ों एके-47 राइफलें, एंटी-टैंक ग्रेनेड, रॉकेट लॉन्चर और 25,000 से ज़्यादा राउंड गोला-बारूद शामिल थे, जो आनंद मार्ग के लिए थे, जो एक सामाजिक संगठन है. जिसका उग्रवाद का इतिहास रहा है. उस रूसी मालवाहक विमान को पीटर ब्लीच नाम का शख्स चला रहा था, जोकि एक पूर्व ब्रिटिश सेना अधिकारी था, बाद में वो हथियार डीलर बन गया था.
22 दिसंबर, 1995 को जब यह विमान भारतीय वायु क्षेत्र से बाहर जाने का प्रयास कर रहा था, तो इसे भारतीय वायुसेना के जेट विमानों ने रोक लिया था. जिसमें पांच लातवियाई नागरिकों और ब्लीच सहित चालक दल को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद उन पर मुकदमा चलाया गया था. इस दौरान मुख्य आरोपी डेवी एयरपोर्ट से भागकर गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहा. उसके बाद के बयानों के अनुसार, उसने एयरपोर्ट अधिकारियों को रिश्वत दी और नेपाल भाग गया, और आखिरकार डेनमार्क वापस आ गया.
पश्चिम बंगाल की कम्युनिस्ट सरकार से बचाने के लिए हथियार हुए थे सप्लाई- होल्क
नील्स होल्क उर्फ किम पीटर डेवी के वकील क्रिस्टोफरसन ने बताया कि ये हथियार आनंद मार्ग नामक विद्रोही आंदोलन से जुड़े लोगों के लिए थे, जिन्हें, होल्क के अनुसार, हथियार गिराने का उद्देश्य आनंद मार्ग के सदस्यों को पश्चिम बंगाल की कम्युनिस्ट सरकार से बचाना था. किम डेवी और पीटर ब्लीच दोनों ने आरोप लगाया कि भारतीय अधिकारियों को हथियार गिराए जाने की जानकारी पहले से थी, जो बंगाल में कम्युनिस्ट शासन को उखाड़ फेंकना चाहते थे.
दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में पैदा होगा तनाव- कोर्ट
भारत सरकार ने सबसे पहले 2002 में डेनमार्क से होल्क को प्रत्यर्पित करने के लिए कहा था. सरकार ने सहमति दे दी, लेकिन डेनमार्क की दो कोर्टों ने यह कहते हुए उसके प्रत्यर्पण को खारिज कर दिया कि उसे भारत में यातना का जोखिम होगा. इससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव पैदा हो गया.
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