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दिल्ली में यमुना को साफ करने लिए सात अलग-अलग क्षेत्रों में काम किया जा रहा है, लेकिन दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की जुलाई में आई रिपोर्ट बताती है कि इन सातों ही पैमानों पर दिल्ली अपने निर्धारित लक्ष्य से पिछड़ गई। अब इन परियोजनाओं की समय सीमा बढ़ाई गई है।
यमुना नदी की कुल लंबाई का केवल दो फीसदी हिस्सा ही राजधानी से गुजरता है, लेकिन यमुना में मौजूद प्रदूषण का 76 फीसदी हिस्सा केवल इसी दो फीसदी हिस्से में मिलता है। खासतौर पर दिल्ली में 22 किलोमीटर का हिस्सा ऐसा है, जहां यमुना सबसे ज्यादा प्रदूषित है।
सफाई के लिए अलग-अलग दिशाओं में चल रहा काम यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सात अलग-अलग दिशाओं में काम किया जा रहा है। इसमें सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता में बढ़ोतरी, नालों के पानी को सीधे नदी में गिरने से रोकना, शहरी और जेजे कलस्टर में सीवर नेटवर्क निर्माण, शुद्धीकृत पानी का फिर से इस्तेमाल, यमुना के कछार में चलने वाली परियोजनाओं और नालों से गाद निकाले जाने का काम आदि शामिल है।
यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए समयबद्ध तरीके से काम करने को इन सभी क्षेत्रों में लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। जुलाई में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट बताती है कि इन सभी पैमानों पर दिल्ली पिछड़ गई है। उदाहरण के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट की क्षमता में 964.5 एमएलडी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन इस लक्ष्य की तुलना में क्षमता में 712 एमएलडी तक ही इजाफा किया जा सका है। इसी तरह बड़े नालों से जुड़ने वाले 76 सब ड्रेन के पानी रोकने का लक्ष्य तय था। इसकी तुलना में 50 सब ड्रेन पर ही काम किया जा सका है।
समिति ने समयसीमा बढ़ाई : यमुना की सफाई पर बनी हाईलेवल कमेटी ने इन सातों क्षेत्रों में चल रही तमाम परियोजनाओं की समीक्षा की है। इसमें सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण से लेकर खुले नालों के पानी को यमुना में गिरने से रोकने जैसी तमाम परियोजनाओं शामिल है। समीक्षा के साथ ही निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाने वाली परियोजनाओं के लिए अगली समय सीमा निर्धारित की गई है।
आठ स्थानों पर की जाती है जल की जांच
दिल्ली में आठ जगहों पर यमुना के जल की जांच होती है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, पल्ला, वजीराबाद, आईएसबीटी ब्रिज, आईटीओ ब्रिज, निजामुद्दीन ब्रिज, ओखला बैराज, ओखला बैराज पर आगरा कैनाल, असगरपुर में यमुना के जल के नमूने लिए जाते हैं। रिपोर्ट बताती है कि जनवरी 2023 की तुलना में जुलाई 2024 में यमुना के जल में प्रदूषण के स्तर में कमी आई है, लेकिन पल्ला को छोड़कर बाकी जगहों पर यह अभी भी पीने, नहाने या जलीय जीवन के लिहाज से बहुत ज्यादा प्रदूषित है। यानी यमुना में प्रदूषण की रोकथाम की गति अभी भी बहुत धीमी है।
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