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माओवादी प्रभावित बस्तर इलाके में सुरक्षा एजेंसियों से साल 2001 से लेकर 2024 के बीच में कुल 516 ऑटोमेटिक हथियार लूटे गए थे। इनमें से छत्तीसगढ़ पुलिस ने केवल 21.5 फीसदी ही बरामद कर पाए हैं। यानी कुल 111 ऑटोमेटिक हथियार बरामद हुए हैं। 24 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह ने साल 2026 तक राज्य से माओवादियों के सफाया करने की बात कही थी। ऐसे में सुरक्षा बलों ने शंका जताई है कि इतनी बड़ी मात्रा में चरमपंथियों के पास ये हथियार होने से गृहमंत्री की घोषणा में बाधा आ सकती है।
हालांकि साल 2024 के बीते छह महीनों में पिछले 20 सालों में सबसे ज्यादा हथियार बरामद हुए हैं। मगर फिर भी सुरक्षा बलों का मानना है कि राज्य के लिए और खासकर बस्तर इलाके के दक्षिणी हिस्से के लिए लूट के ये हथियार गंभीर चुनोती बने हुए हैं। आपको बता दें कि 24 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह ने साल 2026 तक राज्य से माओवादियों के सफाया करने की बात कही थी। वहीं छत्तीसगढ़ पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि माओवादियों के पास सुरक्षाबलों से लूटे गए 400 से अधिक ऑटोमेटिक हथियार हैं। ये गृहमंत्री द्वारा की गई घोषणा में सबसे बड़ी बाधा हैं।
बरामद किए गए हथियारों में AK-47, SLR राइफल, INSAS राइफल, 9 और 4 एमएम की पिस्टल, लाइट मशीन गन, बीजीएल लॉन्चर, और स्थानीय हथियार शामिल हैं। 15 मार्च 2007 को बस्तर जिले से सबसे ज्यादा मात्रा में हथियार लूटे गए थे। लूट के अलावा इस घटना में बीजापुर के रानी बोदली में 55 पुलिस वालों की हत्या भी कर दी गई थी।
अधिकारी ने इन वामपथी चरमपंथियों के आत्मसमर्पण पर चिंता भी जाहिर की है, क्योंकि इनमें से शायद ही किसी ने ऑटोमेटिक हथियारों के साथ सरेंडर किया है। इसके लिए उन्होंने कहा कि हथियारों के साथ सरेंडर करने वाले चरमपंथियों को बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें जॉब देकर, आर्थिक सहायता या अन्य तरह से प्रोत्साहित करना चाहिए। वहीं बस्तर में लंबे समय से तैनात एक अधिकारी ने बताया कि इन माओवादियों के पास हथियार तो हैं, लेकिन गोला बारूद की कमी होना हमारे लिए अच्छा संकेत है। घरेलू स्तर पर कारतूस बनाने की प्रामाणिक पुष्टि नहीं है। हो सकता है यही कारण है कि ये लोग जंगलों में सीधे तौर पर सुरक्षा बलों से मुकाबला नहीं करते हैं।
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