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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने साफ कर दिया है कि वह बीजेपी में शामिल होने वाले हैं। अब सवाल उठता है कि उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाने की बजाय बीजेपी का हिस्सा बनना क्यों चुना। इसका जवाब भी कोल्हान टाइगर ने खुद ही दिया है। मंगलवार को उन्होंने एक्स पर लिखा कि आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है, इसे रोकना जरूरी है।
उन्होंने लिखा, ‘पिछले हफ्ते (18 अगस्त) को मैंने पत्र के जरिए झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद मैं झारखंड की जनता से मिलता रहा और उनकी राय जानने की कोशिश करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही और उन्होंने संन्यास लेने के विकल्प को नकार दिया। पार्टी में ऐसा कोई मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा व्यक्त कर सकूं और मुझसे वरिष्ठ नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं। झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।’ चंपाई सोरेन ने झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ को ‘बड़ी समस्या’ बताया। बीजेपी भी लगातार इस मुद्दे पर हेमंत सरकार को घेरती रहती है।
पूर्व सीएम ने कहा, ‘इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है। आदिवासियों-मूलवासियों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर नहीं रोका गया तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई इलाकों में इनकी संख्या आदिवासियों से भी ज्यादा हो गई है। हमें राजनीति से हटकर इस मुद्दे को सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा।’
कोल्हान टाइगर ने कहा कि इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही हैं। इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है। बता दें कि हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद 67 साल के नेता को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था।
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