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शराब की दुकानों (ठेका) के बाहर नशा कर उपद्रव करने और गंदगी फैलाने से तंग जंगपुरा एक्सटेंशन के निवासियों को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा। अदालत के समक्ष जंगपुरा एक्टेंशन रेजिडेंट फोरम वेलफेयर एसोसिएशन ने सबूतों के साथ अपनी पीड़ा बयां की। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया और स्थानीय पुलिस को निर्देश दिए हैं कि हर दुकान के बाहर रोजाना बीट कांस्टेबल तैनात किया जाए।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह शाम पांच बजे से दुकान बंद होने तक वहां ड्यूटी दें। इस दौरान यह ध्यान रखा जाए कि वहां कोई भी व्यक्ति शराब ना पीए और ना ही स्थानीय निवासियों को परेशान करे। यदि कोई ऐसा मामला सामने आता है तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाए। पीठ ने स्थानीय थानाध्यक्ष को यह भी निर्देश दिया है कि वह आरडब्ल्यूए के महासचिव से संपर्क कर मामले की गहन जांच करें। वह एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश कर बताए कि क्षेत्रीय निवासियों के जीवन में व्यवधान डालने वाले कितने लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
आबादी से ज्यादा दुकानें इस मामले में जंगपुरा एक्सटेंशन की आरडब्ल्यूए ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि यहां क्षेत्र की आबादी से ज्यादा शराब की सात दुकानें हैं। इनकी वजह से यहां के निवासियों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है। आरडब्ल्यूए ने सिलसिलेवार अपना दिक्कतें गिनाईं। उन्होंने बताया कि शराब की दुकानें बहुत संकरी सड़कों पर स्थित हैं। इससे भीड़भाड़ वाला इलाका होने के कारण जाम की समस्या बनी रहती है।
फोटो और वीडियो साक्ष्य के रूप में पेश
आरडब्ल्यूए की तरफ से कई घटनाओं को लेकर कुछ फोटो और वीडियो साक्ष्य के रूप में पीठ के समक्ष पेश किए। पीठ ने तमाम तथ्यों को देखते हुए क्षेत्रीय निवासियों को तत्काल राहत देने के आदेश दिए हैं। हालांकि, मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्थायी वकील प्रशांत मनचंदा ने इन शराब की दुकानों के आवंटन को लेकर निर्धारित मापदंडों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इन दुकानों के आवंटन में कोई गड़बड़ी नहीं है। यह तय नियमों के अनुसार खुली हैं। जहां तक दुकान के बाहर का माहौल खराब होने की बात है तो इसकी जिम्मेदारी पुलिस व प्रशासन की है। पीठ ने स्थायी वकील की इस दलील को स्वीकार किया। इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 25 सितंबर तय की गई है।
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