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महात्मा गांधी अस्पताल परिसर में गैंगरेप की घिनौनी वारदात के बाद अधीक्षक डॉ. फतेह सिंह भाटी ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने का दावा किया। उनका कहना था कि इस घटना के बाद अस्पताल में अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ ही एकांत जगहों पर सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए हैं। उनका ये दावा हकीकत में झूठा साबित हुआ। भास्कर टीम ने मंगलवार रात अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था जांची तो कई जगह सुनसान ही मिली।
किसी एकांत जगह पर सुरक्षाकर्मी नहीं दिखा। जिस डंपिंग यार्ड में वारदात हुई उसके आसपास भी सुरक्षाकर्मी नहीं थे। इसके अलावा स्टेशन रोड वाले गेट, वहां की पार्किंग के साथ ही कई जगह सुरक्षा नहीं थी। टीम को कहीं भी आने-जाने से किसी ने नहीं रोका। कुछ लोग भी अपनी मर्जी से कहीं भी आ-जा रहे थे।
आरोपियों को अपना ठेकाकर्मी मानने से भी बचता रहा अस्पताल प्रशासन
इससे पहले एमजीएच अधीक्षक डॉ. फतेहसिंह भाटी ने दोनों आरोपियों के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की। एफएसएल टीम ने पूछा तो उन्होंने बताया कि एक आरोपी पहले कर्मचारी रहा होगा, लेकिन दूसरा कभी अस्पताल में नहीं रहा। तीसरी बार बोले कि एक कर्मचारी को 16 अगस्त को निकाल दिया था, दूसरा अस्पताल का कर्मचारी ही नहीं है। जबकि पुलिस ने खुलासा किया कि दोनों आरोपी अस्पताल के ही ठेका कर्मचारी हैं। उनसे इस बारे में पूछा तब उन्होंने सकपकाते हुए आरोपियों के अस्पताल में कर्मचारी होने की बात स्वीकारी। ये ठेका सफाईकर्मी दूसरे कर्मचारियों के गैर मौजूदगी में अक्सर आते थे।
पिता की पीड़ा: लापता बेटी मिलने से खुश हुआ, लेकिन ये सदमा मिला
पीड़िता के पिता ने बताया कि वह रविवार को बिना बताए घर से निकल गई थी। बहुत ढूंढा, आसपास के सीसीटीवी कैमरे भी देखे, लेकिन वह नहीं मिली तो शाम को सूरसागर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। दूसरे दिन सोमवार दोपहर थाने से फोन आया कि बेटी मिल गई है। वे थाने पहुंचे तो पता चला कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है। शाम तक पुलिस बेटी से पूछताछ करती रही। रात भर उसे थाने में ही बिठाकर रखा।
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