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झारखंड हाईकोर्ट में स्वत: संज्ञान लिए एक मामले में डीजीपी, एसएसपी और रांची डीसी को कड़ी फटकार लगाई। राजधानी की विधि व्यवस्था पर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल है। सिर्फ नेता और मंत्री को स्पेशल ट्रीटमेंट मिलता है।
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दरअसल, 23 अगस्त को भाजपा युवा मोर्चा की आक्रोश रैली के दिन हाईकोर्ट के न्यायाधीश कांके रोड में जाम में फंस गए थे। इस मामले में मंगलवार को डीजीपी, रांची डीसी, एसएसपी और ट्रैफिक एसपी को हाईकोर्ट में सशरीर हाजिर हुए।
जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने तीनों वरीय अधिकारियों को फटकार लगाते हुए मौखिक कहा कि जब हाईकोर्ट के जज ने सीएम आवास के समक्ष जाम में फंस रहे हैं। उन्हें निर्धारित स्थल पहुंचने में कई घंटे का समय लग रहा है, तो आम जनता की स्थिति क्या होगी यह समझा जा सकता है। कोर्ट ने कहा प्रतीत होता है की साजिश के तहत उन्हें रोका गया, क्योंकि कांके रोड में कोई धरना-प्रदर्शन नहीं था। इसके बावजूद भी वहां 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात थे। ऐसी घटना कानून व्यवस्था का फेलियर है। यह गंभीर मामला है।
जाम के दौरान सिटी एसपी व अफसरों को किया कॉल, रिसीव नहीं किया
न्यायधीश ने मौखिक कहा कि 23 अगस्त को हाईकोर्ट से वापस लौटने के दौरान सीएम आवास कांके रोड के समक्ष जाम के कारण उन्हें रुकना पड़ा। इस दौरान उनके पीएसओ ने ट्रैफिक एसपी समेत कई आला पुलिस अधिकारियों से मोबाइल से संपर्क करने का प्रयास कई बार किया।
लेकिन दूसरी तरफ से किसी तरह का रिस्पांस नहीं आया। इस दौरान उन्होंने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से संपर्क किया, जिसके बाद उन्होंने डीजीपी से बात की। डीजीपी के दिशा-निर्देश के बाद उन्हें जाम से निकाला गया। इसके बाद कोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे हाई कोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस के पास विस्तृत सुनवाई के लिए भेज दिया।
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