[ad_1]
Indian Millionaires leaving Country: इस साल यानी 2024 में लगभग 4,300 करोड़पति भारतीय देश छोड़ सकते हैं. ये अनुमान इंटरनेशनल इंवेस्टमेंट माइग्रेशन फर्म हेनले एंड पार्टनर्स की एक रिपोर्ट में लगाया गया है. ज्यादातर करोड़पति भारतीयों की मंजिल यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) हो सकती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साल 2023 में लगभग 5,100 भारतीय करोड़पति विदेश में बस गए थे. इसमें उन लोगों को शामिल किया गया है, जिसके पास कम से कम 10 लाख डॉलर (8.3 करोड़ रुपये) की प्रॉपर्टी है.
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के कारण भारत लगातार बड़ी संख्या में अपने करोड़पति खो रहा है. उम्मीद है कि इस साल दुनिया भर के करीब 6,800 करोड़पति संयुक्त अरब अमीरात में बस सकते हैं. यूएई दुनिया भर में माइग्रेशन का तीसरा सबसे बड़ा सेंटर बनकर उभरा है. अमेरिका का स्थान पहले नंबर पर है और दूसरे नंबर पर सिंगापुर आता है. लेकिन अगर केवल भारत से विदेश जाने वाले भारतीयों की बात करें तो 2013 से 2023 के बीच यूएई में भारतीय करोड़पति 85 फीसदी बढ़ गए हैं.
ये भी पढ़ें- टेलीग्राम समेत कई मल्टीनेशनल कंपनियों के हेडक्वार्टर दुबई में क्यों हैं, इस शहर में है क्या खास
देश में 100 मिलियन वाले कितने?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत 326,400 एचएनडब्ल्यूआई (High-Net-Worth Individual) के साथ करोड़पतियों के मामले में दुनिया में दसवें स्थान पर है. जबकि चीन 862,400 एचएनडब्ल्यूआई के साथ दूसरे स्थान पर है. 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति वाले 1,044 लोगों के साथ भारत करोड़पतियों के मामले में चौथे स्थान पर है. 100 मिलियन डॉलर वालों लोगों के मामले में अमेरिका (9,850) पहले, जर्मनी (1075) दूसरे और चीन (2,352) तीसरे स्थान पर हैं. 120 अरबपतियों के साथ भारत को सर्वाधिक अरबपतियों वाले देशों की लिस्ट में तीसरा स्थान दिया गया है. हालांकि यह संख्या चीन की एक तिहाई और अमेरिका के कुल अरबपतियों का आठवां हिस्सा है.
करोड़पतियों का जाना चिंताजनक नहीं
हेनले एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट के अनुसार करोड़पतियों का माइग्रेशन विशेष रूप से चिंताजनक नहीं है. क्योंकि भारत माइग्रेशन के कारण होने वाले नुकसान की तुलना में कहीं अधिक नए एचएनडब्ल्यूआई का बनना जारी रख सकता है. रिपोर्ट से पता चलता है कि करोड़पतियों के माइग्रेशन की वैश्विक तुलना में भारत के चीन और ब्रिटेन के बाद तीसरे स्थान पर रहने की उम्मीद है. साल 2023 में भी सबसे अधिक रईस यूएई में बसे थे.
ये भी पढ़ें- Explainer: क्यों पेरिस पैरालंपिक में भारत के 84 खिलाड़ियों के साथ भेजे गए हैं 95 अधिकारी, जानिए क्या है वजह
माइग्रेशन क्यों करते हैं करोड़पति
करोड़पति लोग कई कारणों से पलायन करते हैं या अपना आधार बदल लेते हैं. कुछ हाई नेट वर्थ वाले परिवार सुरक्षा कारणों से स्थानांतरण चुनते हैं. जबकि अन्य वित्तीय आधार और टैक्स बेनिफिट चुनते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि शेष लोग रिटायरमेंट के बाद बेहतर संभावनाओं, बिजनेस के अवसरों, अनुकूल जीवनशैली, बच्चों के लिए अच्छी एजुकेशन के अवसरों, हेल्थ केयर और क्वालिटी ऑफ लाइफ की तलाश में माइग्रेशन का विकल्प चुनते हैं.
कई वजहों से यूएई बना पसंदीदा देश
रिपोर्ट्स के मुताबिक यूएई में टैक्स की दरों में मिलने वाली जबरदस्त छूट और बिजेनस के लिए बेहतर माहौल होने की वजह से ये अमीरों का पसंदीदा देश बन गया है. यूएई के दुबई में अमीरों को जीरो इनकम टैक्स देना होता है. इसके अलावा उद्योगपतियों को यहां की फ्लेक्सिबल टैक्स स्ट्रचर और बेहतर कानून व्यवस्था रास आती है. यही वजह है कि अधिकांश अमीर यूएई में बसना पसंद कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- वो भारतीय राजा जिनकी थीं 10 बीवियां, 350 रखैलें और 88 बच्चे, क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे
5 सालों में 8 लाख भारतीयों ने छोड़ा देश
भारत में एक चलन तेजी से देखने को मिल रहा है. उनके अंदर विदेश में बसने की लालसा तेजी से बढ़ रही है. पिछले पांच सालों में 8 लाख, 34,000 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है. कोविड-19 महामारी से पहले भी हर साल काफी संख्या में भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ रहे थे. फिर भी यह आंकड़ा मौजूदा संख्या से काफी कम था. साल 2011 से 2019 के दौरान लगभग 132,000 भारतीय हर साल अपनी नागरिकता छोड़ रहे थे. साल 2020 और 2023 के दौरान यह संख्या 20 फीसदी बढ़कर हर साल दो लाख से ज्यादा हो गई. राज्यसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार 2023 में दो लाख, 16 हजार से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी.
Tags: Dubai
FIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 24:02 IST
[ad_2]
Source link