[ad_1]
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आखिरकार यह स्वीकार कर लिया है कि वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। इस बात की जानकारी उन्होंने मंगलवार शाम को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करते हुए दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भाजपा में शामिल होने की जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं और आम लोगों के मुद्दों और अधिकारों के लिए संघर्ष के इस नए अध्याय में लोगों से सहयोग भी मांगा।
अपनी पोस्ट में सोरेन ने संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए माताओं, बहनों व बेटियों की इज्जत को खतरे में बताया। उन्होंने कहा कि अगर इन घुसपैठियों को नहीं रोका गया तो हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जाएगा। इस दौरान उन्होंने कई जगहों का जिक्र करते हुए बताया कि यहां आदिवासी अल्पसंख्यक हो गए हैं। अपनी पोस्ट में उन्होंने इस मुद्दे को राजनीति से इतर एक सामाजिक आंदोलन बनाने की बात कही।
जोहार साथियों के साथ अपनी पोस्ट की शुरुआत करते हुए चम्पाई सोरेन ने लिखा, ‘पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया।’ पूर्व सीएम ने आगे लिखा, ‘पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं।’
चम्पाई बोले- माताओं, बहनोंं की इज्जत खतरे में
बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाते हुए आगे उन्होंने लिखा, ‘आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।’
‘राजनीति से अलग सामाजिक आंदोलन बनाना होगा’
उन्होंने कहा, ‘आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जाएगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है। राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा।’
भाजपा से जुड़ने की वजह भी बताई
आगे उन्होंने लिखा ‘इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है। इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है।’
नए अध्याय के लिए मांगा लोगों से सहयोग
इस फैसले में लोगों से सहयोग मांगते हुए चम्पाई सोरेन ने लिखा, ‘झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है। आपका, चम्पाई सोरेन’
असम के सीएम ने बताई थी भाजपा में आने की तारीख
इससे एक दिन पहले यानी 26 अगस्त को असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने घोषणा की थी कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन भाजपा में शामिल होंगे। शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा था, ‘झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हमारे देश के दिग्गज आदिवासी नेता चंपाई सोरेन जी ने कुछ समय पहले माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी से मुलाकात की। वह 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल होंगे।’
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता सोरेन ने पार्टी नेतृत्व पर उनका अपमान करने का आरोप लगाया था और घोषणा की थी कि वह जल्द ही अपने अगले राजनीतिक कदम के बारे में फैसला करेंगे। हालांकि सोरेन ने खुद अपनी पोस्ट में भाजपा में शामिल होने की किसी तारीख के बारे में नहीं बताया है।
[ad_2]
Source link