[ad_1]
झारखंड कांट्रैक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने पंचायती राज विभाग पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पंचायती राज विभाग में एक छोटी सी निविदा है, जिससे एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम का संचालन होना है और यह प्रक्रिया बमुश्किल 15 दिनों की
.
उन्होंने बताया कि पूर्व में भी इस विभाग की ओर से यह निविदा प्रकाशित हुई थी एवं एसोसिएशन के कड़े विरोध के बाद इसे रद्द करना पड़ा था, उसके बाद पुनर्निविदा प्रकाशित की गई, प्रक्रिया सही रास्ते पर चल रही थी परन्तु नीयत सही नहीं होने की वजह से यह प्रक्रिया भी रास्ता भटक गई। प्रक्रिया के अंतिम चरण में कुल पांच एजेंसियों को सूचीबद्ध कर कार्य आवंटित किया गया, जिसमें अपने सबसे प्रिय पात्र को अयोग्य होते हुए भी जबरदस्ती योग्य करार देकर कुल कार्य का 30% से अधिक आवंटित किया जबकि सबसे योग्य को मात्र 11%।
अनुसार शिकायतकर्ता एजेन्सी एवं एक अन्य को सभी प्रक्रिया संपन्न होने के उपरांत अलग कर उन्हें आवंटित कार्य को अपने तीन दुलारों के बीच वितरित कर दिया गया है। ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि इन तीनों एजेंसियों के द्वारा अन्य दोनों एजेंसियों को आवंटित जिलों में भी कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। एसोसिएसन इसे बहुत गंभीरता से ले रहा है एवं अगले 24 घंटे के अंदर पंचायती राज विभाग अगर स्थिति स्पष्ट नहीं करता है तो संगठन विभाग एवं उन एजेंसियों का पिटारा खोलने पर मजबूर हो जायेगा, जिसकी सारी जवाबदेही इसमें शामिल सभी व्यक्तियों की होगी। एसोसिएशन की मांग है कि सूचीबद्ध पांच एजेंसियों के बीच बराबर- बराबर कार्य आवंटित किया जाये इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा है कि अपने साथ किसी अप्रिय घटना के सबंध में राज्य के मुख्यमंत्री एवं पुलिस महा निरीक्षक सहित देश के गृह मंत्री को भी संभावित के नाम के साथ सूचित कर दिया गया है।
[ad_2]
Source link