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नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को यह बताने के लिए कहा है कि ‘जब राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पर्याप्त संख्या में कर्मचार नहीं है तो सर्दियों में प्रदूषण में बेतहाशा बढ़ोतरी से कैसे निपटेगा। शीर्ष अदालत ने दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की कमी के चलते अप्रभावी बताते हुए यह जवाब मांगा है।
जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि सर्दियां आने वाली है, पराली जलाने व अन्य कारणों से प्रदूषण में बढ़ोतरी होगी, ऐसे में सवाल उठता है कि जब एनसीआर से संबंधित राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं है तो इस समस्या से कैसे निपटा जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसलिए हम सीएक्यूएम के अध्यक्ष से मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने और यह बताने के लिए कहा है कि इस समस्या से निपटने के लिए आयोग क्या कदम उठाने जा रही है। पीठ ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में रिक्तियों के कारण प्रतिनिधित्व की कमी के कारण सीएक्यूएम द्वारा गठित की जाने वाली सुरक्षा और प्रवर्तन पर उप-समिति कैसे काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सीएक्यूएम को हलफनामा दाखिल करने और यह बताने के लिए कहा है कि वह वायु प्रदूषण के खतरे को रोकने के लिए क्या कदम उठाने जा रही है। हर साल दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों को में धान की पराली जलाने को प्रमुख कारण बताया जाता है।
मामले में नियुक्त न्याय मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने पीठ को बताया कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में बड़ी संख्या में पद खाली है। उन्होंने कहा कि सीएक्यूएम अधिनियम 2021 के तहत आयोग को क्षेत्र में प्रदूषण को रोकने के लिए कदम उठाने और अपने निर्देशों को लागू करने के लिए दिल्ली-एनसीआर में राज्यों के प्रतिनिधियों वाली उप-समितियां बनाने का अधिकार है। वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह ने पीठ से कहा कि ‘अभी सितंबर माह में प्रवेश करने वाले हैं और जल्द ही पराली जलाने और प्रदूषण की समस्याएं सामने आएंगी। उन्होंने कहा कि ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में कर्मचारियों के कमी के चलते सीएक्यूएम द्वारा जारी निर्देशों को लागू करना मुश्किल होगा।
अप्रैल, 2025 तक खाली पदों को भरने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कुल स्वीकृत 808 पदों में से 395 खाली हैं। राजस्थान ने कहा कि खाली 395 पदों में से हम अगले दो महीनों में 115 पदों को भरेंगे, जिसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) में स्वीकृत 344 पदों में से 233 रिक्त हैं। पंजाब में स्वीकृत 652 पदों में से 314 रिक्त हैं। हरियाणा स्वीकृत 483 पदों में से 202 रिक्त हैं जबकि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में लगभग 350 पद रिक्त हैं। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को अप्रैल, 2025 तक सभी खाली पदों को भरने का आदेश दिया है।
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