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दिल्ली की अदालत ने कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को तीन में से एक मामले में बरी करने का आदेश जारी किया है। वह फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की जेल में बंद है। इसके बावजूद शब्बीर के जेल से छूटने के आसार नहीं हैं, क्योंकि वह बाकी दो बचे केसों के आरोप में आगे भी जेल में ही बंद रहेगा। आपको बता दें कि शब्बीर बीते सात सालों से जेल में बंद है। उसके इतने लंबे समय से जेल में बंद होना ही उसके इस केस से बरी होने का आधार है। पढ़िए आखिर कैसे?
सबसे पहले आपको बता दें कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरज मोर ने आतंकी फडिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में शब्बीर अहमद को बरी किया है। यानी आरोपी धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपराध के लिए चल रहे मुकदमें का सामना कर रहा है। कोर्ट ने इस बात का ध्यान रखा है कि वह साल 2017 की जुलाई से जेल में बंद है। जज ने इस बात को ध्यान में रखकर ही यह निर्णय सुनाया है, क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सात साल के जेल की सजा है, जो कि शब्बीर अहमद के मामले में पूरी हो गई है।
न्यायाधीश ने 24 अगस्त को पारित एक आदेश में कहा कि सात साल की सजा पूरी होने की वजह से आरोपी इस मामले में रिहाई का हकदार है। जबकि दो अन्य केसों में वह अभी तक बरी नहीं हुआ है। आपको बता दें कि शब्बीर के ऊपर चल रहे दो अन्य मामले नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी और एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट द्वारा दर्ज किए गए थे।
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