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रोहतक जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने रोहतक जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा ने भाजपा से गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा की टिकट के लिए दावेदारी ठोकी है। मंजू हुड्डा ने 2 साल पहले राजनीति में कदम रखा था। पहला चुनाव जिला पार्षद का वार्ड नंबर 5 से ल
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गढ़ी सांपला किलोई पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का हलका हैं। जहां से भूपेंद्र सिंह हुड्डा 5 बार विधायक बन चुके हैं। वहीं इस बार भी कांग्रेस ने उम्मीदवारों से आवेदन मांगे थे। गढ़ी सांपला किलोई हलके से अकेले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ही आवेदन किया है। इसलिए इस बार भी उन्हें ही उम्मीदवार माना जा रहा है। लगातार जीत हासिल करने के चलते गढ़ी सांपला किलोई हलके को भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ कहा जाता है। वहीं इस गढ़ में भाजपा सेंधमारी नहीं कर पाई है।
2022 में जिला पार्षद का चुनाव जीतने के बाद खुशी मनाते हुए मंजू हुड्डा
जातिय समीकरण को भी साधती नजर आ रही मंजू हुड्डा
जिला चेयरपर्सन मंजू हुड्डा ने 2022 में जिला पार्षद का चुनवा लड़ा। जिसमें उन्हें 9333 वोट मिले और नजदीकी प्रतिद्वंद्वी अंजली को 6052 वोट मिले। इसलिए वे 3281 वोट से जीत गई। गढ़ी सांपला किलोई हलका जाट बहुल्य क्षेत्र है। वहीं जाट समाज के मतदाता ही विजेता निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। मंजू हुड्डा जातिय समीकरण को भी साधती नजर आती हैं। मंजू हुड्डा ने डबल एमए व बीएड तक पढ़ाई की है। वहीं पीएचडी की पढ़ाई फिलहाल जारी है।
रोहतक जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा से बातचीत
सवाल : विधानसभा चुनाव को लेकर क्या तैयारियां हैं।
जवाब : विधानसभा चुनाव को लेकर तो तैयारियां नियमित हैं। जबसे मैं चेयरपर्सन बनी हूं, तभी से जनता के बीच में ही रही हूं। एक दिन भी ऐसा नहीं जाता कि किसी के सुख-दुख में ना शामिल हुई हो। लोगों का साथ व प्यार भी मिल रहा है।
सवाल : करीब 2 साल पहले राजनीति में आई। पहली बार में ही पार्षद बनी और फिर चेयरपर्सन। आगे का क्या लक्ष्य है।
जवाब : मेरा जिला पार्षद का पहला चुनाव था। करीब 20 दिन का यह चुनाव था। इससे पहले मेरी कोई इच्छा थी और ना ही मैंने कभी आगे के लिए चुनाव का सोचा था। लेकिन जैसे-जैसे गांव व भाईचारे ने इसके लिए तैयार किया और बताया। जनसेवा तो पहले भी करती थी, लेकिन राजनीति में नहीं थी। राजनीति एक ऐसी जगह है, जहां खुलकर जनता की सेवा कर सकते हैं। इसलिए चुनाव लड़ने का फैसला लिया और उस चुनाव में जीती भी। चेयरमैन के चुनाव में भी सर्वसम्मति से जीत हासिल की। आगे का तो यही है कि जनता व पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी उस पर खरा उतरूंगी।
सवाल : किस विधानसभा से चुनाव की तैयारी है।
जवाब : मैं जब से चेयरपर्सन बनी हूं, तब से पूरे जिले में जा रही हूं और लोगों के काम कर रहीं हूं। बाकी तो यह पार्टी तय करेगी कि वे मुझे कहां से टिकट के लिए योग्य समझते हैं कि मैं वहां से चुनाव लडूं। पार्टी जहां से भी कहेगी, वहां से चुनाव लडूंगी।
चेयरपर्सन बनने के बाद भाजपा पार्टी ज्वाइन करते हुए मंजू हुड्डा
सवाल : गांव व वार्ड गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा में आता है। वहां से ही दावेदारी अधिक मानी जाती है। आप क्या मानते हैं। जवाब : मेरी विधानसभा गढ़ी सांपला किलोई है। पार्टी कहेगी और जनता व बड़े बुजुर्ग आशीर्वाद देंगे तो वहां से चुनाव लडूंगी और कोशिश करूंगी की वहां से जीत हासिल करूं। सवाल : गढ़ी सांपला किलोई से कांग्रेस से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा कई चुनाव जीत चुके हैं। क्या चुनौती मानते हैं। जवाब : जनता जो है वह काम मांगती है। मुझे राजनीति में आए करीब डेढ़-दो साल हुआ है। जनता के काम करवा रही हूं। जनता के लिए अपने आप से ऊपर काम को चुनती हूं। अगर लोग मुझे चुनते हैं तो मैं उनके विश्वास पर खरी उतरूंगी। इसको चुनौती तो नहीं मान सकती। भाग्य भी होता है। समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता। समय परिवर्तनशील है। कभी कुछ भी हो सता है। यह नहीं कि कोई एक बार या लगातार जीता है तो वही रहेगा। क्या पता मेरा भाग्य काम कर जाए, मैं जरूर लड़ना चाहुंगी। सवाल : गढ़ी सांपला किलोई सीट पर अब तक भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कैसे टक्कर दे पाएंगी। जवाब : मेरे पास तो सिर्फ काम ही है। अब तक का जितना अनुभव है, उसमें लोगों ने साथ दिया और विश्वास किया है। कोशिश जरूर करना चाहूंगी कि इस चुनाव में पार्टी व लोगों का आशीर्वाद मिला तो। सवाल : लोगों के बीच जा रही हैं तो कैसा रुझान मिल रहा है। लोग क्या कह रहे हैं। जवाब : लोग तो डवलेपमेंट की ही कहते हैं। जनता जिसे चुनती है, उससे विकास की ही उम्मीद करती है। जनता के बीच में कोई भी प्रतिनिधि जाए, तो वह लोगों के विश्वास पर खरा उतरे। डेढ़-दो साल में जितना काम किया है, उसमें जनता खुश है। सवाल : पहली बार में ही पार्षद व चेयरपर्सन बने। क्या-क्या चुनौती आई। जवाब : चुनौती तो बहुत सारी थी, लेकिन अभी कोई चुनौती नहीं है। मैं पहली बार आई थी और राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था। बहुत-सी ऐसी चीज थी, जो मेरे लिए नई थी, जिनका कुछ पता नहीं था। वो चाहे काम करने का या समन्वय का मान लें। कुछ समय के लिए चुनौतीपूर्ण था।
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