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नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली में एक युवती और उसके फूफा के बीच हुई शादी पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने आर्य समाज मंदिर से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जो लोग ऐसे समारोहों के गवाह बनें, वे वास्तविक एवं प्रामाणिक हों। युवती के फूफा ने खुद को अविवाहित बताया था। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह एवं न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ लड़की के पिता की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने एक जुलाई से लापता अपनी बेटी को पेश करने की मांग की थी। पीठ के समक्ष उपस्थित हुई लड़की ने दावा किया कि याचिकाकर्ता उसका जैविक पिता नहीं है बल्कि उसकी मां का दूसरा पति है। वह शादी के बाद अब अपने पति के साथ रह रही है। पीठ ने कहा कि चूंकि यह विवाह फूफा की वैवाहिक स्थिति के संबंध में दोनों पक्षों द्वारा दिए गए झूठे हलफनामों के आधार पर किया गया था, इसलिए कानून की नजर में इसका कोई आधार नहीं है। पीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि फूफा ने अपनी पत्नी-बच्चे को छोड़ दिया है। यह पीठ मानती है कि आर्य समाज मंदिर द्वारा आयोजित कथित विवाह समारोह प्रथम दृष्टया एक अमान्य विवाह है क्योंकि फूफा ने विवाह के लिए प्रस्तुत हलफनामे में घोषित किया है कि वह अविवाहित है, जबकि स्पष्ट रूप से उनकी पत्नी और एक बेटा भी है। उसने कहा कि लड़की बालिग है। उसने याचिकाकर्ता के साथ जाने से इनकार कर दिया है, इसलिए आगे कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता। पीठ ने स्पष्ट किया कि लड़की की बुआ अपनी आपराधिक शिकायत को आगे बढ़ाने और कानून के अनुसार उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। उसने कहा कि पुलिस भी कानून के अनुसार मामले की जांच कर सकती है।
दोनों पक्षों से कम से कम एक गवाह हों
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह एवं न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा कि मंदिर दोनों पक्षों से कम से कम एक गवाह रखने का प्रयास करे, जो या तो रिश्तेदार हों या परिचित हों। वर्तमान मामले में पीठ ने कहा कि जिस तरह से लड़की के सगे फूफा ने आर्य समाज मंदिर के समक्ष स्वयं को अविवाहित बताया, वह स्पष्ट रूप से कानून के विपरीत है। यह विवाह अमान्य है। इसमें कहा गया कि मालवीय नगर स्थित आर्य समाज मंदिर में आयोजित विवाह समारोह में जोड़े और विवाह संपन्न कराने वाले पुजारी के अलावा कोई भी मौजूद नहीं था। पीठ ने कहा कि इसकी वैधता और पवित्रता पूरी तरह से संदिग्ध है। पीठ को बताया गया कि आर्य समाज मंदिर वैवाहिक स्थिति के संबंध में पक्षों से हलफनामा तो लेता है, लेकिन आगे कोई सत्यापन नहीं किया जाता। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आर्य समाज मंदिर अब से यह सुनिश्चित करेगा कि जब विवाह के प्रयोजन के लिए गवाह आदि पेश किए जाएं तो वे वास्तविक और प्रामाणिक हों, जिनकी स्थिति का उचित रूप से सत्यापन किया जा सके।
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