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24 घंटे के दौरान चरखी दादरी में सबसे ज्यादा बारिश हुई।
हरियाणा में मौसम विभाग ने 27 अगस्त यानी कल से सूबे में मानसून की सक्रियता बढ़ने की संभावना जताई है। आज पंचकूला, अंबाला, करनाल, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, झज्जर, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और नूंह में हल्की बूंदाबांदी के आसार है
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वहीं कल से 2 दिन के लिए पलवल, फरीदाबाद, नूंह, रेवाड़ी, कैथल, करनाल, सोनीपत, झज्जर, रेवाड़ी, गुरुग्राम, फरीदाबाद में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
मानसून सीजन में अब तक 59% कम बारिश हुई है। वैसे प्रदेश में 326.2% बारिश होती है, लेकिन इस बार अभी तक 266.8% बारिश ही हुई है।
अगस्त महीने की बात करें तो राज्य में 101.8 मिमी सामान्य बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक 135.6 मिमी बारिश हो चुकी है।
कहां कितनी बारिश हुई
हरियाणा के 3 जिले ऐसे रहे, जहां 24 घंटे के दौरान झमाझम बारिश रिकॉर्ड की गई। सबसे ज्यादा बारिश चरखी-दादरी में हुई, यहां 20.5 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है। इसके अलावा महेंद्रगढ़ में 3.5 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। कुरुक्षेत्र में 2.0 MM बारिश हुई। इन जिलों के अलावा पंचकूला, रोहतक और करनाल में भी मौसम में बदलाव देखने को मिला, यहां भी कुछ एक स्थानों पर हल्की बूंदाबांदी देखी गई।
16 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई
हरियाणा के 16 जिलों में मानसून की बारिश सामान्य से कम हुई है। कैथल, करनाल और पंचकूला जिले ताे ऐसे हैं, जहां सामान्य से आधी बारिश भी नहीं हाे पाई। हिसार, जींद, यमुनानगर, पलवल और रोहतक जिलाें में सामान्य से 30 प्रतिशत से भी कम बारिश हाे पाई है। महेंद्रगढ़ और नूंह जिलाें में जमकर बादल बरसे हैं। नूंह में सामान्य से 63 प्रतिशत और महेंद्रगढ़ जिले में सामान्य से 51 प्रतिशत तक अधिक बारिश दर्ज की गई है।
31 अगस्त तक बारिश होगी
हरियाणा में अभी मानसून 31 अगस्त तक एक्टिव रहेगा। इसकी वजह यह है कि मानसून ट्रफ रेखा दिल्ली के उत्तर में निचले स्तर पर शिफ्ट हो गई है, इसलिए सतही हवा पश्चिमी दिशा में बदल कई है। पश्चिमी हवाएं कम आर्द होने के कारण तापमान बढ़ाती हैं, लेकिन अब मानसून फिर से एक्टिव होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। ऐसे हालातों में सूबे में बारिश के आसार बने हुए हैं।
जुलाई में कम हुई बरसात
हरियाणा में जुलाई में इस बार 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकड़ों को देखे तो 2018 में 549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में 472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है।
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