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मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर 30 अगस्त को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई है। पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने शपथ पत्र के जरिए 30 अगस्त तक सूचना आयुक्तों की नियुक्ति कर लेने का कोर्ट को भरोसा दिया था, लेकिन सूचना आयुक्तों के चयन
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हां, मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन के लिए राज्य सरकार द्वारा आवेदन आमंत्रित किए जा चुके हैं। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई थी। इस अवधि में सूचना आयुक्तों के लिए लगभग 300 और मुख्य सूचना आयुक्त के लिए 40 आवेदन आए हैं।
सलेक्शन कमेटी की बैठक पर निर्णय नहीं
चंपाई ने दीपक बिरुआ को सदस्य मनोनीत किया, अब चंपाई सीएम पद से हट गए। इस कारण चयन समिति के गठन को लेकर सरकार के शीर्ष स्तर पर स्पष्ट मान्यता नहीं बन सकी है। जानकारों का कहना है कि सीएम इसके पदेन अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष पदेन सदस्य होते हैं। पूर्व कमेटी में भी बिरुआ थे, इस कमेटी में भी वह रह सकते हैं। लेकिन, पूर्व की कमेटी में वह कल्याण मंत्री की हैसियत से सदस्य थे। बाद में वह परिवहन मंत्री बने। अब सवाल है कि कल्याण मंत्री की हैसियत से सदस्य बने बिरुआ परिवहन मंत्री होने पर भी तकनीकी रूप से सदस्य हो सकते हैं, इस पर सरकार के शीर्ष स्तर पर कोई फैसला नहीं हो सका है। चयन समिति की बैठक को लेकर भी अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
चयन समिति के गठन में बार-बार फंसा पेंच
2020 से राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त का पद रिक्त है। बाद में एक मात्र सूचना आयुक्त रहे हिमांशु शेखर चौधरी का कार्यकाल भी पूरा हो गया। इस तरह पिछले कई वर्षों से सूचना आयुक्तों के पद भी रिक्त हैं। क्योंकि, सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का जब राज्य सरकार ने प्रक्रिया शुरू की, तो नेता प्रतिपक्ष को लेकर विवाद हो गया। राज्य सरकार ने झाविमो से भाजपा में आए बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष मानने से इंकार कर दिया। इस विवाद में ढाई साल से अधिक का समय बीत गया, तब जाकर भाजपा ने अमर कुमार बाउरी को नेता प्रतिपक्ष मनोनीत किया। उसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में चयन समिति बनी। तत्कालीन कल्याण मंत्री चंपाई सोरेन भी समिति के सदस्य बनाए गए, लेकिन हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपाई सीएम बन गए। फिर नए सिरे से चयन समिति बनी।
मुख्य सूचना आयुक्त के एक व सूचना आयुक्त के 5 पद हैं
राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त का एक और सूचना आयुक्त के पांच पद हैं, सभी रिक्त हैं। इस कारण सूचना आयोग में लगभग दो हजार से अधिक याचिका सुनवाई के लिए लंबित है। सूचना आयोग में याचिकाओं के लंबित होने के कारण सरकार के विभिन्न कार्यालयों में भी सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना देने में विभाग और कार्यालय टालमटोल की नीति अपना रहा है। इस कारण भी विभिन्न कार्यालयों में हजारों की संख्या में आवेदन लंबित हैं।
31 जुलाई थी दोनों पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि
300 अभ्यर्थियों ने सूचना आयुक्त बनने के लिए भरा है फॉर्म
40 अभ्यर्थियों ने मुख्य सूचना आयुक्त के पद के लिए किया है आवेदन
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