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Israel-Hezbollah War: लेबनान में इजरायली हमले के बाद मिडिल ईस्ट में एक बार फिर संकट गहरा गया है. क्योंकि अपने कमांडर की हत्या का बदला लेने के लिए हिजबुल्लाह ने जवाबी हमला करना शुरू कर दिया है. हिजबुल्लाह ने दावा किया है कि उसने 320 रॉकेट इजरायल में दागे हैं. दूसरी तरफ इजरायली सेना ने संकेत दिया है कि हिज्बुल्लाह पर उसके अधिकांश हमले दक्षिणी लेबनान में केंद्रित हैं, लेकिन उसने चेतावनी दी है कि हमले उन सभी स्थानों पर किए जाएंगे, जहां खतरा पहचाना गया है.
- रविवार (25 अगस्त) को मध्य पूर्व उस समय गहरे संकट में फंस गया, जब इजरायली सेना ने लेबनान के खिलाफ लगातार हवाई हमले शुरू कर दिए. इसके जवाब में हिजबुल्लाह ने भारी संख्या में ड्रोन और रॉकेट हमला किया.
- इजरायली रक्षा बलों ने कहा, “आईडीएफ ने हिजबुल्लाह आतंकवादी संगठन की पहचान की है जो इजरायली क्षेत्र की ओर मिसाइल और रॉकेट दागने की तैयारी कर रहा है. इन खतरों के जवाब में, आईडीएफ लेबनान में आतंकी ठिकानों को निशाना बना रहा है.”
- इस बीच, हिजबुल्लाह ने कहा कि उसने इजरायल की ओर 320 से अधिक कत्यूषा रॉकेट दागे और 11 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. उसने कहा कि यह पिछले महीने बेरूत के एक उपनगर में हमले में उसके शीर्ष कमांडर की हत्या के जवाब का ‘पहला फेज’ है.
- पिछले महीने इजरायल के कब्जे वाले गोलान हाइट्स पर लेबनान की तरफ से मिसाइल हमला किया गया था, जिसमें 12 युवा मारे गए थे. इस हमले के जवाब में इजरायली सेना ने बेरूत में हिजबुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर शुकर की हत्या कर दी.
- दूसरी तरफ, तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनिया की हत्या से स्थिति और भी खराब हो गई, जिसकी वजह से ईरान ने इजरायल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की कसम खाई. हिजबुल्लाह ने 7 अक्टूबर को हमास के बंदूकधारियों पर इजरायल द्वारा किए गए हमलों का जवाब इजरायली ठिकानों पर मिसाइलों से दिया. अब दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी जारी है.
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दुनिया पर असर
इजरायल और हिजबुल्लाह की बीच जारी संघर्ष ने दुनिया के सामने अलग संकट खड़ा कर दिया है. क्योंकि इजरायल और हमास के बीच पहले से ही युद्ध जारी है. अब हिजबुल्लाह के बीच में आने के बाद इसका दुनिया पर काफी खतरनाक प्रभाव पड़ने वाला है. इस तनाव में कहीं न कहीं ईरान भी शामिल है.
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह तनाव और बढ़ा तो ऊर्जा से लेकर आर्थिक सुरक्षा का खतरा दुनिया पर मंडरा सकता है. इसका सीधा असर भारत पर भी पड़ेगा, क्योंकि भारत भारी मात्रा में मिडिल ईस्ट तेल खरीदता है. इस मसले पर अमेरिका शुरू से इजरायल के साथ है.
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