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दिल्ली जल बोर्ड (DJB) में हुई अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में चार्टर्ड अकाउंटेंट तेजिंदर पाल सिंह की सरकारी गवाह बनने की याचिका को दिल्ली की एक अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करना उसकी जिम्मेदारी है कि सरकारी गवाह बनकर दोषी व्यक्ति सजा से न बच जाए।
ई़डी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इस मामले को लेकर जो अंतिम रिपोर्ट तैयार की है, उसमें दिए गए आरोपियों के नाम में तेजिंदर सिंह का नाम भी शामिल है। साथ ही एजेंसी ने डीजेबी के मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा, ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल, NBCC के पूर्व महाप्रबंधक डीके मित्तल और NKG इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को भी आरोपी बनाया है।
शुक्रवार को पारित अपने आदेश में विशेष न्यायाधीश भूपिंदर सिंह ने कहा कि ईडी ने अपने जवाब में आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए तेजिंदर सिंह की गवाही की किसी जरूरत के बारे में नहीं बताया है। कोर्ट ने पूछा, “आवेदक (सिंह) सब कुछ सच-सच बताने को तैयार हो सकता है, लेकिन क्या अभियोजन पक्ष को इसकी जरूरत भी है?’
अदालत ने आगे कहा, ‘हर किसी आरोपी को जो कि सब कुछ बताने को तैयार है, उसे माफ नहीं किया जा सकता। अदालत को यह भी देखना होगा कि दोषी व्यक्ति केवल इसलिए सजा से न बच जाए क्योंकि उसने सरकारी गवाह बनने का विकल्प चुन लिया है। सरकारी गवाह बनकर आवेदक की प्रस्तावित गवाही को सबसे अच्छे रूप में केक पर आइसिंग के रूप में लिया जा सकता है, लेकिन आइसिंग को पूरे केक की तुलना में कम कीमत पर नहीं लिया जा सकता है।’
अदालत ने यह भी कहा कि ‘सिंह जांच के दौरान सरकारी गवाह नहीं बनना चाहता था। ऐसे में आरोपी को केवल इसलिए माफी देकर नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि अब उसकी चेतना अचानक जाग उठी है, लेकिन कथित अपराध करने की उस लम्बी अवधि के दौरान उस चेतना ने उसे बिल्कुल परेशान नहीं किया, जबकि वह अवधि कई सालों की थी और इस दौरान उसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर सुनियोजित तरीके से और हिसाब-किताब लगाकर उन अपराधों को किया था।’
ईडी की तरफ से लगभग 8,000 पेजों की अभियोजन शिकायत 28 मार्च को दिल्ली में एक विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत के सामने दायर की गई थी।
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