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राजस्थान में पेपर लीक गिरोह पर लगाम के लिए गठित SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) अब तक 436 गिरफ्तारियां कर चुकी है। सबसे ज्यादा पेपर लीक कराने वाले 7 माफिया पर शिकंजा कसा जा चुका है। हालांकि एक-एक लाख के इनामी यूनिक भांबू और सुरेश ढाका की गिरफ्तारी होन
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प्रदेश सरकार ने करीब 9 महीने पहले एसआईटी का गठन किया था। पेपर लीक से जुड़े सभी मामलों की जांच एसओजी को सौंप दी गई थी। इन मामलों में बड़े स्तर पर हुई कार्रवाई के बाद जांच एजेंसी को 3 हजार से ज्यादा शिकायतें मिली हैं। जिनकी जांच के बाद एसओजी ने 1500 परिवाद दर्ज किए हैं। इन सभी केस की जांच पूरी करना एसओजी के लिए बड़ा टास्क बना हुआ है।
इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए– प्रदेश में पेपर लीक मामलों की क्या स्थिति है? एसओजी की जांच कहां तक पहुंची? गिरोह के मास्टरमाइंड कहां है और अब एसओजी इन केस में आगे क्या कार्रवाई कर रही है?
एसओजी ने दर्ज किए 66 केस, 436 गिरफ्तार
एसओजी ने अभी तक पेपर लीक, डमी कैंडिडेट और नकल कराने से जुड़े 66 केस दर्ज किए हैं। इनमें एसआईटी गठन के बाद 53 और 13 वो पुराने केस थे, जिनकी जांच एसओजी को सौंपी गई, इनमें पेपर लीक करने के मामले 20 हैं। एक केस को छोड़कर सभी में चालान पेश कर दिया गया है। 150 से अधिक लोगों पर फर्जी डिग्री के 46 केस दर्ज किए गए हैं।
किंगपिन की भूमिका वालों पर सख्ती
एडीजी वी. के. सिंह ने बताया कि जांच एजेंसी पेपर लीक गिरोह में किंगपिन की भूमिका निभाने वाले शातिर बदमाशों पर शिकंजा कस रही है। इन शातिर बदमाशों की पेपर लीक के कई मामलों में भूमिका सामने आई है। यह सभी सरगना अपने नेटवर्क के जरिए पेपर लीक गिरोह चला रहे थे।
गिरफ्तार सरगनाओं में जगदीश बिश्नोई, हर्षवर्धन मीणा, राजेंद्र यादव, राजेश खंडेलवाल, रमेश कालेर, रिंकू शर्मा, अनिल उर्फ शेरसिंह मीणा, भूपेंद्र सारण, ओमप्रकाश बिश्नोई, रोशनलाल मीणा, भजनलाल, रामकृपाल, राजूराम ईराम, बत्तीलाल मीणा व उदाराम शामिल हैं। वहीं डमी कैंडिडेट छम्मी बिश्नोई उर्फ शमी, हरचन्द्र रेवाड़ी उर्फ हरीश, हनुमान मीणा, आशुतोष मीणा, छोटूराम खद्दा, धीरज शर्मा को गिरफ्तार किया जा चुका है। सभी आरोपी जेल में हैं।
सलाखों के पीछे हैं ये किंगपिन
एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में धरे गए जगदीश बिश्नोई, हर्षवर्धन मीना, भूपेंद्र सारण अभी भी जेल में हैं। इन्होंने गिरफ्तारी के बाद हाईकोर्ट में भी जमानत याचिका लगाई, लेकिन वो भी खारिज हो गई। जांच अधिकारी महावीर ने बताया कि यह तीनों पहले भी पेपर लीक के कई मामलों में गिरफ्तार हो चुके हैं। गिरफ्तारी के बाद से तीनों अभी जेल में है।
आरोपी चंचल के अलावा किसी भी आरोपी की अभी तक जमानत नहीं हुई है। इस मामले में निचली अदालत ने 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश नहीं किए जाने पर 12 आरोपियों को सशर्त जमानत दी थी लेकिन एसओजी ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर हाईकोर्ट ने जमानत पर रोक लगा दी। भूपेंद्र सारण पर पेपर लीक के 7 मामले दर्ज हैं।
1. जगदीश बिश्नोई : 15 से अधिक भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक कराने में भूमिका है। 2017 में जमानत के बाद कई भर्तियों के पेपर लीक कर दिए। अभी जेल में है।
जगदीश बिश्नोई अब तक पुलिस भर्ती परीक्षा 2007, नर्सिंग भर्ती परीक्षा 2010, ग्रेड सेकंड टीचर भर्ती परीक्षा 2012, राजस्थान रोडवेज परिचालक भर्ती परीक्षा 2012, राजस्थान पुलिस भर्ती परीक्षा 2014, जूनियर अकाउंटेंट भर्ती परीक्षा 2015, पुलिस एसआई भर्ती परीक्षा 2018 में नकल करवा चुका है।
2. भूपेंद्र सारण : कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा, सीएचओ, ग्रेड सेकंड भर्ती परीक्षा के 2 मामले, जेईएन भर्ती परीक्षा, एसआई भर्ती परीक्षा के मामलों में गिरफ्तार हो चुका है। अभी जेल में है।
3. हर्षवर्धन कुमार मीणा : एसआईटी गठित होने के बाद पेपर लीक के 4 केस दर्ज हुए हैं। ये सीएचओ भर्ती परीक्षा, जेईएन भर्ती परीक्षा, एसआई भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कराने में शामिल रहा है। अभी जेल में बंद है।
4. गमाराम खिलेरी (बर्खास्त पटवारी) : पेपर लीक के 4 केस दर्ज हैं। जूनियर अकाउंटेंट भर्ती परीक्षा, एसआई भर्ती परीक्षा और रीट भर्ती परीक्षा में गिरफ्तार हो चुका है। ग्रेड सेकंड टीचर भर्ती परीक्षा में भी शामिल था। अभी जेल में है।
5. अशोक सिंह नाथावत : एसआईटी गठित होने के बाद पेपर लीक के 4 मामलों में गिरफ्तार हो चुका है। अभी जेल में है। सीएचओ भर्ती परीक्षा, ग्रेड सेकंड टीचर भर्ती परीक्षा, जेईएन भर्ती परीक्षा और एसआई भर्ती परीक्षा पेपर लीक में शामिल था।
6. बलबीर सुंडा व मुकेश बाना : यह जोड़ी पेपर लीक के कई मामलों में सक्रिय रही है। एसओजी ने इन्हें CHO भर्ती परीक्षा, जेईएन भर्ती परीक्षा, हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक केस में गिरफ्तार किया है और अभी जेल में है।
7. अनिल कुमार मीणा उर्फ शेर सिंह मीणा : सीएचओ भर्ती परीक्षा, जेईएन भर्ती परीक्षा, एसआई भर्ती परीक्षा और ग्रेड सेकंड टीचर भर्ती परीक्षा के 2 केस में गिरफ्तार हो चुका है और अभी जेल में है।
पेपर लीक मामलों में सबसे कुख्यात माफिया जगदीश बिश्नोई 2017 में जमानत पर बाहर आया और फिर से पेपर लीक करने में जुट गया।
मास्टरमाइंड जब भी रहे जेल से बाहर तो हुआ खेल
एसओजी का मानना है कि मास्टरमाइंड जमानत पर जब भी जेल से बाहर रहे। उस दौरान उन्होंने दूसरी परीक्षाओं के पेपर लीक कराए। पेपर लीक के मास्टरमाइंड अमृतलाल मीणा, जगदीश बिश्नोई जैसे कई शातिर हैं, जिन्होंने जमानत पर बाहर रहने के दौरान दूसरी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कराने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन इस बार पेपर लीक माफिया पर एसओजी की जांच और कोर्ट की सख्ती भी दिखाई दे रही है। पेपर लीक के आरोपियों की जमानत हाईकोर्ट से भी खारिज हो रही है।
इसी महीने ग्रेड सेकंड टीचर भर्ती परीक्षा और एसआई भर्ती परीक्षा में शामिल 6 आरोपियों की जमानत याचिका को जोधपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इनमें गमाराम खिलेरी पटवारी और राजीव बिश्नोई तृतीय श्रेणी शिक्षक भी शामिल है। इन्हें एसआई भर्ती परीक्षा से पहले कनिष्ठ लेखाकार परीक्षा 2015 में पेपर लीक के आरोप में एसओजी ने गिरफ्तार किया था।
सख्ती के बाद सफल रहीं 6 भर्ती परीक्षा
पेपर लीक मामलों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने 16 दिसंबर 2023 को इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। जांच में तेजी और सख्त नए कानून के शिकंजे के कारण पेपर लीक से जुड़े लोगों में अब कानून का डर नजर आने लगा है।
भर्ती परीक्षाओं में अलग-अलग स्तर पर मॉनिटरिंग बढ़ने के कारण इस साल परीक्षाएं बिना किसी परेशानी से हुई। इस साल जनवरी में सूचना सहायक, पीटीआई, लाइब्रेरियन और सहायक आचार्य के पदों पर भर्ती परीक्षा हुई। वहीं फरवरी में कनिष्ठ लेखाकार परीक्षा और कृषि पर्यवेक्षक परीक्षा भी बिना किसी गड़बड़ी के संपन्न हो सकी।
ये परीक्षाएं भी हो चुकी रद्द
बिजली विभाग तकनीकी हेल्पर भर्ती 2022 की परीक्षा कुछ सेंटर पर टेक्निकल गड़बड़ी से सर्वर हैंग होने पर 5 केंद्रों पर दोबारा कराई गई। पटवारी भर्ती परीक्षा 2021 को भी स्थगित कर दोबारा कराया गई। पटवारी भर्ती परीक्षा में 4 हजार 421 पदों पर भर्ती होनी थी। इसके लिए 13 लाख 49 हजार आवेदन मिले थे। बाद में पद बढाकर भर्ती की गई। वहीं इस परीक्षा से पहले एपीपी भर्ती परीक्षा 2011, आरएएस भर्ती परीक्षा 2013, एलडीसी भर्ती परीक्षा 2013 और आरपीएमटी 2014 भी पेपर लीक और प्रश्न पत्रों में गड़बड़ी के चलते रद्द की गई थी।
सरकारी कर्मचारियों के सामने बेबस एसओजी, अभी 26 वांछित फरार
एसओजी की टीम ने पेपर लीक मामलों में सरकारी कर्मचारियों की भूमिका को उजागर कर 73 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया। इसके अलावा 26 वांछित सरकारी कर्मचारी फरार चल रहे हैं। इनमें सबसे अधिक आरोपी शिक्षा, पंचायती राज, राजस्व और चिकित्सा विभाग के हैं। एसओजी ने इसकी जानकारी संबंधित विभागों को भी दी है। जिससे कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके।
लेकिन अधिकांश मामलों में ऐसे कर्मचारियों की सीधी मिलीभगत उजागर होने के बावजूद उन्हें बर्खास्त नहीं किया गया। विभाग ने आरोपी कर्मचारियों को पद से हटा दिया या निलंबित कर दिया। इस कारण ऐसे आरोपियों को अभी भी आधी सैलरी मिल रही है। वहीं कुछ कर्मचारी कानून की आड़ लेकर कोर्ट से स्टे ले आए।
पेपर लीक रोकने के सारे प्रयास रहे थे विफल
आरपीएससी में सेंध : पेपर लीक गिरोह ने पिछले एक दशक में सरकारी कर्मचारियों की मदद से भर्ती परीक्षा के सिस्टम में हर जगह अपनी पैठ बना ली थी। आरपीएससी से लेकर प्रिंटिंग प्रेस, स्ट्रांग रूम और परीक्षा केंद्र तक यह सेंध लगा चुके थे। मोटी कमाई और परिचितों को नौकरी लगाने के लालच में सरकारी कर्मचारी भी गिरोह में शामिल हो गए। जांच में आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा की मुख्य भूमिका सामने आने के बाद उन्हें निलंबित किया। 18 अप्रैल 2023 को उन्हें एसओजी ने गिरफ्तार किया था।
स्ट्रांग रूम नहीं रहे स्ट्रॉन्ग : आरोपियों ने स्ट्रांग रूम तक पहुंच बनाई। रामकृपाल मीना ने शिक्षा संकुल में बने स्ट्रांग रूम से रीट भर्ती परीक्षा का पेपर चोरी किया। वहीं यूनिक उर्फ पंकज भांबू पर सोडाला में रवींद्र बाल भारती स्कूल के स्ट्रांग रूम से एसआई भर्ती परीक्षा के पेपर की फोटो खींचकर जगदीश को भेजने का आरोप है। गिरोह ने पेपर सॉल्वड कराकर फर्जी और डमी कैंडिडेट की मदद से बड़ी संख्या में सरकारी नौकरी लगवाई। पिछले 5 साल में लगे सरकारी कर्मचारियों और पेपर माफिया के रिश्तेदारों और परिचितों के दस्तावेजों की जांच भी की जा रही है।
नेटबंदी भी बेअसर : पेपर के दौरान इंटरनेट बंद करने के मामले में राजस्थान नंबर-1 पर है। भर्ती परीक्षा से पहले इंटरनेट पर पाबंदी लगाने का भी पेपर माफिया का असर नहीं हुआ। गिरोह इंटरनेट बंद होने से पहले ही लीक पेपर को सर्कुलेट कर देते थे। सीनियर टीचर भर्ती का पेपर लीक होना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
मई 2022 की कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा को दोबारा कराने के दौरान सरकार ने गड़बड़ी रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों पर मोबाइल फोन जैमर लगाए। बायोमेट्रिक पहचान की शुरुआत की, लेकिन फिर भी पेपर लीक हो गया।
पेपर लीक आरोपियों पर इनाम घोषित, 2 अभी तक फरार
एसओजी को पेपर लीक माफिया गिरोह से जुड़े मास्टरमाइंड और किंगपिन की भूमिका निभाने वाले 2 आरोपियों की अभी तक तलाश है। इन पर इनाम भी घोषित कर रखा है लेकिन अभी तक जांच एजेंसी को इनके बारे में कोई सुराग नहीं मिला है। इनमें पहला नाम यूनिक उर्फ पंकज भांबू है। इस पर एक लाख रुपए का इनाम है। इसे वनपाल के पद से बर्खास्त कर दिया गया है।
वहीं ग्रेड सेकंड टीचरभर्ती परीक्षा मामले का एक सुरेश ढाका का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है। सुरेश ढाका पर भी एक लाख रुपए का इनाम रखा गया है। एसआई भर्ती परीक्षा पेपर लीक में भी यह शामिल था। बताया जा रहा है कि सुरेश फर्जी पासपोर्ट के जरिए दुबई भाग गया है।
गौरतलब है कि पेपर लीक मामलों में फरार चल रहे 12 आरोपियों पर एसओजी ने 5.75 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था। पेपर माफिया पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश में पहली बार इतना बड़ा इनाम घोषित किया गया।
एक्सपर्ट बोले- नया कानून पहले से सख्त
एडवोकेट भंवर सिंह चौहान ने बताया कि नकल और पेपर लीक मामलों में नया कानून पहले की बजाय सख्त है। तत्कालीन सरकार द्वारा राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम के अध्युपाय) और संशोधन अधिनियम 2023 लाया गया गया था। इसमें कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्र कैद की सजा का प्रावधान है।
वहीं जुर्माना राशि भी कम से कम 10 लाख और अधिकतम 10 करोड़ रुपए है। इसलिए दोषियों पर सख्त कार्रवाई संभव हो रही है। जबकि 1992 में लाए गए राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अनुचित साधनों की रोकथाम अधिनियम में अधिकतम सजा 3 से 7 साल तक थी। इस में जुर्माना राशि भी 15 हजार से 1 लाख रुपए ही था।
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