[ad_1]
संभाग के बांध हरसी, अपर ककैटो, ककैटो व पहसारी मानसून में ओवरफ्लो हो रहे हैं। वहां से तिघरा के लिए पानी की शिफ्टिंग भी हो रही है। इसके बाद भी तिघरा बांध 5 फीट खाली है। इतना ही नहीं इस बार तिघरा के कैचमेंट में बरई-घाटीगांव में अब तक सबसे अधिक 870.7 एमए
.
कैचमेंट में खदानों में अवैध उत्खनन के गड्ढों व छोटे-बड़े 7 स्टॉप डैमों होने से बरसात व नदी के पानी का तिघरा में रन ऑफ(पानी का बहाव) कम हो रहा है, इससे अब तक तिघरा नहीं भर पाया है। । इधर तिघरा बांध के आसपास पेड़ कम होने के कारण वहां बरसात का औसत भी पूरे जिले से कम है, इस बार मानसून में घाटीगांव बरई में 870.70 एमएम बरसात दर्ज हुई वहीं तिघरा में अब तक 625.55 एमएम बरसात ही दर्ज हुई है, यह कैचमेंट से 245.15 एमएम कम है।
ऊपर के बांधों से भरना पड़ रहा तिघरा
जिले में अपर ककैटो, ककैटो, पेहसारी बांध फुल है। अपर ककैटो बांध से विगत एक माह से तीन बार ककैटो बांध में पानी को शिफ्ट किया जा चुका है। ककैटो, पेहसारी बांध से पानी की लगातार शिफ्टिंग तिघरा बांध में की हो रही है। तिघरा बांध में मानसून में अब तक लगभग 18 फीट पानी पहुंचा है। इसमें लगभग 50 फीसदी लगभग 9 फीट से अधिक पानी ऊपर के बांधों से की जा रही शिफ्टिंग से पहुंचा है।
412 वर्ग किमी का कैचमेंट, खदान के गड्ढों से रुका पानी का रन अॉफ
तिघरा बांध के कैचमेंट(जल संग्रहण क्षेत्र) एरिया में तिघरा से लेकर घाटीगांव, पनिहार क्षेत्र शामिल है। इसका विस्तार 412 वर्ग किलोमीटर है। इस कैचमेंट एरिया के घाटीगांव में खदान क्षेत्र में वैध से ज्यादा अवैध उत्खनन के कारण बड़े क्षेत्र में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। इनके अलावा कैचमेंट में आधा दर्जन से अधिक स्टॉप डैम भी ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन का जलस्तर बढ़ाने के लिए बना दिए गए हैं। इन गड्ढों व स्टॉप डेम के कारण कैचमेंट से तिघरा बांध में आने वाले पानी का रनआफ(बहाव) कम हो गया है।
कैचमेंट में पेड़ कम होने से बरसात का औसत भी गिरा
तिघरा के कैचमेंट में पेड़ों की अवैध रूप से कटाई के कारण कैचमेंट की जमीन पर पेड़ कम हो गए है। दो दशक पहले जब तिघरा के कैचमेंट में पेड़ों की संख्या पर्याप्त थी तब इस क्षेत्र में मानसून के दौरान बरसात भी पर्याप्त होती थी और कैचमेंट से तिघरा में पर्याप्त पानी पहुंचता था। इसके कारण पानी की अन्य बाधों से शिफ्टिंग करनी पड़ती है।
यह है उपाय…
नहीं करता कोई कोशिश तिघरा बांध में कैचमेंट से पानी का रन ऑफ बढ़ाने के लिए कैचमेंट में खदानों के गड्ढों को भरवाने व अवैध उत्खनन को जन सहयोग से रोकने की जरूरत है। लेकिन हो उल्टा हो रहा है कि प्रशासनिक सहयोग से अवैध उत्खनन हो रहा है और वैध उत्खनन करने वाले नियमानुसार गड्ढे नहीं भर रहे हैं। यहां पर व्यापक स्तर पर पौधरोपण भी होना चाहिए।
तिघरा में 4200 एमसीएफटी पानी संग्रहण की है क्षमता
तिघरा को मानसून 200 फीसदी संग्रहण पर डिजाइन किया गया था। यानि कि तिघरा दो मानसून के लिए डिजाइन किया गया था। तिघरा में वर्तमान में 4200 एमसीएफटी पानी संग्रहण की क्षमता है। एक मानसून में तिघरा में 1800 से 2100 एमसीएफटी पानी संग्रहण किया जा सकता है, लेकिन छेदों के कारण अब 1400 एमसीएफटी पानी ही एक मानसून में तिघरा में संग्रहित हो रहा है।
16 साल में 8 बार तिघरा बांध के खुले गेट
तिघरा बांध के बीते 16 साल में आठ बार गेट खोले गए हैं। 2008 में 15 अगस्त से 21 सितंबर तक 4 बार, 2010 में 23 सितंबर को गेट खोले गए। 2011 में 15 अगस्त से 11 सितंबर तक 6 बार, 2012 में 11 अगस्त से 15 सितंबर तक 14 बार, 2013 में 23 अगस्त से 30 अगस्त तक 4 बार, 2018 में 3 सितंबर से 7 सितंबर तक 6 बार, 2019 में 22 सितंबर से 29 सितंबर तक 5 बार, 2022 में 8 सितंबर से 15 सितंबर तक 6 बार गेट खोले गए।
तिघरा में पानी की शिफ्टिंग चल रही है
^तिघरा बांध अभी लगभग 5 फीट खाली है। ककैटो-पेहसारी बांध से नहर के माध्यम से पानी की शिफ्टिंग तिघरा बांध में लगातार जारी है। अपर ककैटो के पानी से ककैटो को भरने के बाद ओवरफ्लो पानी हरसी में जा रहा है, हरसी भी ओवरफ्लो है।
-वीरेंद्र यादव, एसडीओ जल संसाधन विभाग
भास्कर एक्सपर्ट – -हेमंत खरे, सेवानिवृत्त, अधीक्षण यंत्री, जल संसाधन
तिघरा बांध की बढ़े ऊंचाई तभी बुझेगी शहर की प्यास
तिघरा बांध ग्वालियर में पेयजल सप्लाई का एकमात्र साधन है। इसके कैचमेंट में खदानों के बड़े गड्ढे होने से पानी का रन ऑफ कम हो गया है। पेड़ कटने के कारण बरसात भी कैचमेंट एरिया में शिवपुरी व अन्य क्षेत्र से कम होती है। इस कारण मानसून में तिघरा में कम पानी पहुंचता है और शहर में सप्लाई के लिए पानी की कमी पड़ने लगी है। इसके लिए कैचमेंट में पौधरोपण व गड्ढे भरने के लिए ईमानदारी से काम करने जरूरत है।
तिघरा बांध 110 साल पुराना हो गया है। पुराने बांधों के स्थानों पर नए बांधों का निर्माण व रीस्ट्रक्चरिंग की प्रक्रिया के तहत तिघरा बांध की ऊंचाई बढ़ाने का कार्य कराया जा सकता है। बांध के कैचमेंट के पीछे वन भूमि उपलब्ध है। इसलिए कैचमेंट एरिया में इजाफा से कोई परेशानी भी नहीं होगी।
जल स्रोत बढ़ाकर होगी तिघरा की संग्रहण क्षमता अधिक
शहर में जब तिघरा का निर्माण किया गया था तब जिले की आबादी 1 से 2 लाख के बीच थी। वर्तमान में शहर की आबादी 15 लाख तक पहुंच गई है। शहर के लिए पानी की सप्लाई का तिघरा के आलावा दूसरा कोई स्त्रोत भी नहीं हैं। शहर की आबादी बढ़ने पर पहले तो तिघरा बांध से सिंचाई कम की गई फिर बंद कर दी गई। इसके बाद ककैटो व पेहसारी बांध से भी सिंचाई कम कर तिघरा बांध में पीने के लिए पानी की शिफ्टिंग की गई।
शहर की बढ़ती आबादी के लिए पेयजल की पूर्ति के लिए तिघरा बांध की संग्रहण क्षमता बढ़ाने के साथ ही तिघरा में पानी संग्रहण के लिए जल स्रोत बढ़ाने की भी जरूरत है। इसके लिए तिघरा बांध की ऊंचाई बढ़ाने के साथ ही पानी के स्त्रोत के रूप में चंबल से पानी लाने की योजना पर अमल होना चाहिए।
[ad_2]
Source link