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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के भीतर स्थापित पुलिस थानों में महिला पुलिस पदाधिकारी भी थाना इंचार्ज बन सके, इसके लिए राज्य सरकार जल्द नियम बनाएगी। निश्चित रूप से थानों में वरीय पदाधिकारी के रूप में महिला पुलिस जिम्मेदारी संभाले, ऐसी व्यवस्थ
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मुख्यमंत्री ने कहा कि दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन में महिला पुलिस के हक-अधिकार, उचित मांगों, समस्याओं के निराकरण इत्यादि से संबंधित जो आवश्यक सुझाव राज्य सरकार तक पहुंचे हैं, उन पर विचार किया जाएगा। महिला पुलिस बल की बेहतरी के लिए क्या करने की जरूरत है। इस पर बेहतर कार्ययोजना बनाई जाएगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों ने एक विशेष स्मारिका का विमोचन भी किया।
समाज के अंदर बेहतर कार्यशैली से ही बदलेगी रूढ़िवादी मानसिकता व व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक व्यवस्था सुधारना आपके हुनर और बेहतर कार्यशैली की बात है। कुछ चीजों को आसानी से सरलतापूर्वक सुधार किया जा सकता है। कई जगहों पर महिला समूहों की बड़ी संख्या है, जैसे- महिला कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, महिला से जुड़े शिक्षण संस्थानों के हॉस्टल्स इत्यादि। इन जगहों पर महिला पुलिस पदाधिकारियों का सीधा समन्वय होना चाहिए, ताकि महिला से जुड़ी परेशानियों को जाना और समझा जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का हमेशा प्रयास है कि हमारी पुलिस व्यवस्था पर कोई अंगुली न उठा सके। समाज के अंदर बेहतर कार्यशैली से ही रूढ़िवादी मानसिकता और व्यवस्था में बदलाव लाया जा सकता है।
प्रमोशन और पोस्टिंग में मिले रिजर्वेशन
इसके अलावा भेदभाव जागरूक अभियान, महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने, प्रमोशन व पोस्टिंग में रिजर्वेशन, गाइडलाइन का सही तरीके से अनुपालन, महिला थाना में बल की स्वीकृति, बॉडी पेयर की व्यवस्था, रोस्टर ड्यूटी सही से लगाई जाए, स्वास्थ्य को देखते हुए ड्यूटी लंबे समय तक न लगाई जाए, विशेष अवकाश का पूर्ण लाभ, इसी तरह से गर्भवती महिलाओं के लिए प्रशिक्षण संस्थान में अलग से सुविधा उपलब्ध कराने, गर्भवती महिलाओं को केवल इंडोर प्रशिक्षण देने आैर उनके लिए अलग से ड्रेस कोड पर बल दिया गया।
सम्मेलन में सिपाही से लेकर डीएसपी तक महिलाओं की हिस्सेदारी 33 फीसदी करने, महिला पदाधिकारी व कर्मियों की प्रतिनियुक्ति गृह प्रमंडल में रखने, अनुसंधान विभाग एवं विधि-व्यवस्था विभाग दोनों के लिए अलग-अलग प्रतिनियुक्ति नीति का अनुपालन करने, प्रत्येक जिले में महिलाओं को महिला थाना के अलावा जनरल थाना में कम से कम 30 फीसदी थाना प्रतिनिधित्व का मौका देने और इच्छुक महिलाओं के लिए फील्ड पोस्टिंग पॉलिसी बनाने की मांग की गई।
साथ ही कहा गया कि ट्रैफिक ड्यूटी करने वालों के लिए सप्ताह में एक दिन की छुट्टी मिले। विधि-व्यवस्था ड्यूटी में जाने-आने की सुविधा, छापामारी के दौरान कम से कम 04 महिला होनी चाहिए। महिला थाना में पुरुषकर्मी का भी पदस्थापन होना चाहिए। महिला पुलिसकर्मियों का जब दूसरे जिला में स्थानांतरण होता है, तब उस जिले में बच्चों के स्कूल व कॉलेज में सत्र के बीच में नामांकन की सुविधा होनी चाहिए। प्रत्येक माह मेडिकल चेकअप हो आैर कार्य अवधि के दौरान विशेष परिस्थिति में 4 से 5 घंटे की इमरजेंसी लीव मिलनी चाहिए।
सिपाही से लेकर डीएसपी के पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी 33 फीसदी की जाए
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