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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के साथ गठबंधन करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और आरोप लगाया कि यह कदम केंद्र शासित प्रदेश में अराजकता वापस लाने के लिए है।
यादव ने सवाल पूछते हुए कहा, ‘क्या कांग्रेस नेकां के घोषणापत्र के अनुसार जम्मू-कश्मीर के लिए एक अलग झंडे का समर्थन करती है? क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए को फिर से लागू करना चाहती है? कांग्रेस वोट बैंक के लिए गठबंधन करके देश में अराजकता पैदा करना चाहती है।’
जम्मू कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को मतदान होगा, जबकि नतीजे चार अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए नेकां प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की घोषणा की है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘क्या कांग्रेस चाहती है कि शंकराचार्य पर्वत को तख्त-ए-सुलेमान और हरि पर्वत को कोह-ए-मरन के नाम से जाना जाए? क्या कांग्रेस बाबा अमरनाथ यात्रा में फिर से परेशानी खड़ी करना चाहती है? क्योंकि यही वे कारण थे, जिनकी वजह से कश्मीर में अशांति थी।’
कांग्रेस पर दलितों, गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी लोगों को आरक्षण से वंचित करने का आरोप लगाते हुए यादव ने कहा कि पार्टी ने नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर के विभाजन में भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ऐसे समय में अराजकतावादी ताकतों से जुड़ रही है, जब जम्मू-कश्मीर बदल रहा है। चुनावी राजनीति में राजनीतिक दलों की सीमाएं होनी चाहिए और कांग्रेस को राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करना चाहिए।’
यादव ने कहा कि लोग कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से जानना चाहते हैं कि पार्टी किस मजबूरी का सामना कर रही है, जिसके चलते उसे नेशनल कांफ्रेंस के साथ खड़ा होना पड़ रहा है।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव आखिरी बार नवंबर 2014 में हुए थे। 5 अगस्त, 2019 को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में पुनर्गठित कर दिया था।
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