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प्रदर्शन करते अभ्यर्थी।
– फोटो : amar ujala
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69000 शिक्षक भर्ती मामला यूं तो चार साल से चर्चा में बना हुआ है, किंतु पिछले लोकसभा चुनाव में जिस तरह ओबीसी आरक्षण एक प्रमुख मुद्दा बना और आगामी विधानसभा उपचुनाव व 2027 के चुनाव में भी विपक्ष ओबीसी आरक्षण को अपना खास हथियार बनाने में लगा हुआ है। इसे देखते हुए ही शासन व सरकार इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने में जुट गई है।
69000 शिक्षक भर्ती मामले में पूर्व में ही 6800 की सूची प्रस्तुत कर एक तरह से विभागीय अधिकारियों ने यह मान लिया था कि इस मामले में कहीं न कहीं चूक हुई है। इसके बाद भी इस मुद्दे का समाधान नहीं निकल सका। यही वजह रही कि अभ्यर्थियों के साथ-साथ समय-समय पर विपक्ष व भाजपा के सहयोगी दल भी इसके मुद्दे को उठाते रहे हैं।
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती की पुरानी सभी सूची रद्द करते हुए नए सिरे से सूची बनाने का आदेश दिया है तो प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने की जगह स्थायी समाधान करने में जुट गई है, ताकि आगे फिर इस भर्ती में ओबीसी आरक्षण मुद्दा न बन सके। शासन की ओर से विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इस मामले का स्थायी समाधान खोजा जाए। इसमें भी किसी भी युवा के भविष्य के साथ अन्याय न हो। विभागीय अधिकारी भी छुट्टियों में बैठक कर इसका रास्ता निकालने में जुटे हुए हैं।
69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का आंदोलन जारी
69000 शिक्षक भर्ती में हाइकोर्ट के आदेश को लागू करते हुए चयन सूची जारी करने की मांग के लिए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का आंदोलन शनिवार को लगातार 5वें दिन भी जारी रहा। अभ्यर्थी ईको गार्डन में धरने पर बैठे हुए हैं। 69000 शिक्षक भर्ती संघ के अध्यक्ष व अभ्यर्थी विजय यादव ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश आए हुए एक सप्ताह से ज्यादा हो गए, लेकिन विभाग के अधिकारी जान-बूझकर इस मामले को टाल रहे हैं। ताकि मामला दोबारा फंसे और उन्हें कुछ न करना पड़े। उन्होंने कहा कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
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