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नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। एकीकृत पेंशन स्कीम (यूपीएस) को लागू करने की जिम्मेदारी पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के हाथों में होगी। ऐसे कर्मचारी जो नई पेंशन स्कीम से जुड़े थे लेकिन 10 वर्ष की सेवा के बाद नौकरी छोड़ दी है, उन सभी कर्मचारियों को डाटा उपलब्ध कराने से लेकर पेंशन और एरियर जारी करने तक का काम पीएफआरडीए की निगरानी में ही पूरा होगा।
यूपीएस के तहत केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि ऐसे कर्मचारी जो वर्ष 2004 के बाद नई पेंशन स्कीम से जुड़े हैं, उन्हें भी अनिवार्य पेंशन और एरियर का लाभ मिलेगा। ऐसे कर्मचारियों को भी न्यूनतम 10 हजार रुपये की पेंशन मिलेगी। वित्त मंत्रालय से संबद्ध पीएफआरडीए पहले से नई पेंशन स्कीम की जिम्मेदारी संभाल रहा है, जिसके पास पूरा डाटा है कि कितने कर्मचारी नई पेंशन स्कीम का लाभ ले रहे हैं और नई पेंशन स्कीम आने के बाद से कितने कर्मचारियों ने सेवानिवृत्त ली है। उन्हें सरकार की तरफ से एकमुश्त कितना भुगतान सेवानिवृत्त पर किया गया है। अब उस सारे डाटा का मिलान किए जाने के बाद एरियर और पेंशन का निर्धारण किया जाएगा।
पोर्टल पर चुन सकेंगे दोनों में से एक स्कीम
31 मार्च 2024 से पहले एक एकीकृत पोर्टल तैयार किया जाएगा। इसमें कर्मचारियों को विकल्प दिया जाएगा, जिसके माध्यम से कर्मचारी नई पेंशन स्कीम और यूपीए में से किसी एक को चुन सकेंगे।
वित्त मंत्रालय के स्तर पर बैठक होगी
बताया जा रहा है कि यूपीएस को लाया जा रहा है, इसकी जानकारी पहले ही वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों को दी जा चुकी थी। पोर्टल व नियमों को निर्धारण से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा के लिए जल्द ही वित्त मंत्रालय के स्तर पर भी बैठक होनी है। पीएफआरडीए यूपीएस को लेकर कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों को लागू करने का काम देखेगा। अधिकारियों का कहना है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब स्कीम से जुड़े विस्तृत दिशा-निर्देश जारी होंगे। उसके बाद उसी के हिसाब से ऑनलाइन पोर्टल व आईटी सिस्टम तैयार किया जाएगा।
कमेटी ने 100 से अधिक संगठनों से बात की।
डॉ. टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 100 से अधिक सरकारी कर्मचारी संगठनों से पेंशन सुधार के मुद्दों पर बात की। राज्य सरकारों के कर्मचारियों के संगठनों के भी सुझाव लिए गए। उसके बाद यूपीएस को तैयार किया गया है।
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