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देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के उदयपुर दौरे के दौरान यूनाइटेड कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन राजस्थान की ओर से वर्क्स कॉन्ट्रेक्ट पर जीएसटी की दर व्यावहारिक, युक्तियुक्त व न्यायसंगत बनाने को लेकर वित्त मंत्री को ज्ञापन सौंपा। एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष बी.एस. राव ने ज्ञापन में बताया कि जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में सरकारी वर्क्स कॉन्ट्रेक्ट पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है।
जो किसी भी मायने में व्यवहारिक, युक्तियुक्त एवं न्यायसंगत नहीं है। सरकार द्वारा अनरिजनेबल जीएसटी की एकाएक वसूली से वर्क्स कॉन्ट्रेक्टर्स का जीवनयापन करना एवं व्यवसायिक गतिविधियां चालू रखना सामर्थ्य से परे की बात हो गई है, जिससे वर्क्स कॉन्ट्रेक्टर्स को भारी आर्थिक हानि हो रही है। वर्क्स कॉन्ट्रेक्ट्स के लिए खरीद किए गए माल एवं सेवा के लिए जो कीमत चुकाई जाती है। उसमें पूरे कॉन्ट्रेक्ट के लिए चुकाई जाने वाली जीएसटी का कुल योग 7 से 10 प्रतिशत ही होता है। इससे संवेदको को जीएसटी का इनपुट भी 7 से 10 प्रतिशत ही मिल पाता है।
ऐसे में संवेदको को ठेका राशि का 18 प्रतिशत दर से जीएसटी जमा कराने के लिए अपना मुनाफा व जमा पूंजी में से राशि आहरित करके या मशीनरीज व वाहनों को बेचकर या वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेकर अथवा पुश्तैनी खेत-कुंए बेचकर या अन्य सम्पति बेचकर जीएसटी की पूर्ति करने के लिए राशि जुटानी पड़ रही है। गौरतलब है कि वर्क्स कॉन्ट्रेक्स में विशेषकर सड़क निर्माण कार्यों में 15 से 20 प्रतिशत डीजल का व्यय होता है व डिजल पर जीएसटी का इनपुट नहीं मिलता है। साथ ही वर्क्स कॉन्ट्रेक्ट्स में सामग्री व श्रम का अनुपात भी लभगभ 65 व 35 प्रतिशत होता है एवं श्रम पर किसी प्रकार का जीएसटी इनपुट अर्जित नहीं होता है। इसलिए वर्क्स कॉन्ट्रेक्ट पर वर्तमान में वसूल की जाने वाली जीएसटी की 18 प्रतिशत दर तर्कसंगत एवं न्यायोचित नहीं है।
वर्क्स कॉन्ट्रेक्स पर वसूली जाने वाली जीएसटी राशि दर की गुणावगुण के आधार पर दुबारा समीक्षा करवाकर वसूली जाने वाली जीएसटी दर को व्यावहारिक, रिजनेबल, युक्तियुक्त एवं न्यायसंगत बनाया जाए ताकि वर्क्स कॉन्ट्रेक्टर्स भी सम्मानजनक सामाजिक व व्यवसायिक जीवनयापन कर सके एवं अनावश्यक कर्ज के तले नहीं दबे। इस दौरान एसोसिएशन के कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
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