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कोलकाता, एजेंसी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने महिला डॉक्टर की हत्या के विरोध में 27 अगस्त को पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय ‘नबन्ना तक मार्च निकालने पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार पर रोक नहीं लगाई जा सकती। नबन्ना के आसपास के इलाकों में मार्च के आह्वान पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए एक वकील और पास के शिबपुर के एक निवासी ने कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि मार्च आयोजित करने की अनुमति के लिए उचित आवेदन के बिना इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति हरीश टंडन व न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने नागरिक संस्थाओं के एक वर्ग द्वारा हावड़ा शहर के नबन्ना तक मार्च निकालने की अनुमति देते हुए कहा कि स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ क्रूर दुष्कर्म-हत्या ने नागरिकों की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों में कहा गया है कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार प्रत्येक नागरिक का मूल मौलिक अधिकार है।
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