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प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान के तहत जिले में 7 हजार सौर ऊर्जा पम्प सेट लगाए जाएंगे।
कृषि बिजली कनेक्शन के अभाव में डीजल इंजन से खेतों में सिंचाई कर रहे किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) स्टैण्ड अलोन सौर ऊर्जा पम्प परियोजना एक सुनहरा अवसर है। बिजली कटौती और कृषि कनेक्शन में होने वाली देर
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पीएम-कुसुम-कम्पोनेन्ट बी के तहत कृषकों को 3, 5 और 7.5 हॉर्स पावर क्षमता के सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र लगाने पर 60 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इसमें 30 प्रतिशत अनुदान केन्द्रीय मद से और 30 प्रतिशत राज्य मद से है। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कृषकों को राज्य मद से 45 हजार रुपए प्रति कृषक प्रति संयंत्र अतिरिक्त अनुदान मिलेगा। पम्प संयंत्र की कुल लागत की 40 प्रतिशत राशि कृषक की ओर से स्वयं वहन की जाती है। कृषक अपनी हिस्सा राशि का 30 प्रतिशत तक बैंक से ऋण प्राप्त कर सकते हैं। सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र के लिए भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से निर्धारित दरों पर सूचीबद्ध फर्म की ओर से स्थापित किए जाने पर ही अनुदान देय होगा। आपूर्तिकर्ता फर्म का चयन कृषक की ओर से किया जाएगा।
अनुदान राशि का भुगतान उद्यान विभाग की ओर से संबंधित आपूर्तिकर्ता फर्म को दो चरणों में किया जाता है। अनुबंधित फर्म की ओर से सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र कृषक के खेत पर स्थापित किए जाने का सत्यापन कमेटी की ओर से सत्यापन किए जाने के पश्चात पम्प संयंत्र की 90 प्रतिशत राशि का भुगतान देय होगा। शेष राशि का भुगतान दूसरे चरण में होगा। उद्यान विभाग के उप निदेशक डॉ. रमेश चंद्र बराला ने बताया कि पीएम कुसुम योजना कम्पोनेंट-बी के तहत वर्ष 2023-24 के लिए राज्य के सभी जिलों में कुल मिलाकर एक लाख सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसमें हनुमानगढ़ के लिए 7 हजार सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र के लक्ष्य का आवंटन किया गया है। सर्वाधिक 15 हजार जयपुर जिले को, इसके बाद 13 हजार श्रीगंगानगर जिले को, 8190 चूरू जिले को तथा 7-7 हजार सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र लक्ष्य आवंटन हनुमानगढ़ एवं बीकानेर जिलों को किया गया है।
आवेदन की प्रक्रिया और मंजूरी डॉ. बराला ने बताया कि सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र के लिए कृषकों को राजकिसान साथी पोर्टल से ई-मित्र या स्वयं की एसएसओ आईडी से आवेदन करना होगा। पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों की ऑनलाइन छंटनी जिला कार्यालयों की ओर से की जाएगी और तकनीकी सर्वे के लिए आवेदन संबधित फर्म को भेजा जाएगा। फर्म की ओर से कृषक के जलस्त्रोत का तकनीकी सर्वे कर, सर्वे रिपोर्ट एवं संयंत्र का कोटेशन पोर्टल पर अंकित कर उद्यान विभाग के जिला कार्यालय को ऑनलाइन भेजेंगे। उप निदेशक डॉ.बराला ने बताया कि जिला कार्यालय की ओर से कृषक की ऑनलाइन प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जाएगी। स्वीकृति जारी होने के बाद कृषक की ओर से अपने हिस्से की 40 प्रतिशत राशि राजकिसान साथी पोर्टल पर दिए गए लिंक के माध्यम से ई-मित्र अथवा ईसीएस/डीडी के माध्यम से जिला हॉर्टीकल्चर डवलपमेंट सोसायटी के बैंक खाते में जमा कराई जाएगी।
राशि जमा होने के बाद जिला उद्यान कार्यालय की ओर से ऑनलाइन कार्यादेश जारी किया जाएगा। फर्म की ओर से सोलर पम्प संयंत्र स्थापित कर पम्प का विस्तृत विवरण राजकिसान साथी पोर्टल पर डाला जाएगा। संयंत्र का बिल जारी कर स्केन किया जाएगा, साथ ही फर्म की ओर से संयंत्र का बीमा कराया जाएगा जिसकी प्रति ऑनलाइन पोर्टल पर स्केन की जाएगी। जिला हॉर्टीकल्चर डवलपमेंट सोसायटी स्तर से संयंत्र स्थापना के 7 दिन में संयंत्र का निर्धारित मोबाइल एप से भौतिक सत्यापन किया जाएगा।
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