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उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच गुरुवार को नया विवाद शुरू हो गया। एलजी वीके सक्सेना ने गुरुवार को 24 अस्पताल परियोजनाओं में देरी पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इन परियोजनाओं को शुरू करने का उद्देश्य लोक निर्माण विभाग द्वारा इन्हें ठेकेदारों को सौंपना था। उधर, दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पलटवार करते हुए कहा कि एलजी यह दावा कैसे कर सकते हैं कि उन्हें इन निर्माणाधीन अस्पतालों के बारे में जानकारी नहीं थी। ऐसा लगता है कि एलजी सत्ता सुख लेना चाहते हैं, लेकिन जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं। वहीं, भाजपा ने भी इस मुद्दे पर आप को घेरा।
बिना किसी योजना के तैयार की परियोजनाएं राजनिवास
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि निर्धारित समय से छह से सात वर्ष पीछे चल रहे 24 निर्माणाधीन अस्पतालों के लिए विभिन्न श्रेणियों में डॉक्टरों, पैरामेडिकल और टेक्निकल स्टाफ के कुल 37 हजार 691 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता होगी, लेकिन ये पद अभी तक सृजित नहीं हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इन परियोजनाओं को बिना किसी योजना के जानबूझकर टेंडर किया गया था।
राजनिवास के मुताबिक, 24 अस्पताल परियोजनाओं के भवनों का निर्माण बिना किसी योजना, इक्यूपमेंट, मशीनरी और इसके लिए जरूरी मानवशक्ति की व्यवस्था किए ही शुरू कर दिया गया। एलजी ने कहा कि बिना सोचे-समझे शुरू की गई यह परियोजनाएं एक प्रकार की उपेक्षा का उदाहरण हैं। अस्पतालों के नाम पर दिल्ली वाले कंक्रीट के जिन ढांचों को देखेंगे वह आठ सौ करोड़ की लागत से बने बिना उपकरणों, बिस्तरों, ऑपरेशन थिएटर, डॉक्टर, नर्स व स्टाफ के केवल खोखे होंगे। यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान इन परियोजनाओं के लिए आवंटित बजट मात्र 400 करोड़ रुपये हैं, जबकि बजट में ठेकेदारों के पक्ष में मध्यस्थता निपटाने के लिए आवंटित राशि 600 करोड़ रुपये थी। आप सरकार ने पूरे सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे को ही दांव पर लगा दिया।
राज्यपाल भूले, उनकी मंजूरी से ही हो रहा निर्माण
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एलजी कार्यालय में हर कोई जानता है कि दिल्ली में कई वर्षों से 14 हजार बिस्तरों का निर्माण नए अस्पतालों और मौजूदा अस्पतालों में नए ब्लॉक के रूप में किया जा रहा है। हर साल कैबिनेट इन अस्पतालों के निर्माण के लिए वार्षिक बजट को मंजूरी देती है और इसे विधान सभा में पेश करने से पहले मंजूरी के लिए एलजी के पास भेजा जाता है। एलजी साहब यह दावा कैसे कर सकते हैं कि उन्हें इन निर्माणाधीन अस्पतालों के बारे में जानकारी नहीं थी। एसा लगता है कि एलजी सत्ता सुख लेना चाहते है लेकिन जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं।
भारद्वाज ने कहा कि भर्तियों को लेकर उठे सवाल पर कहा कि यह पूरी तरह से एलजी और उनके अधीन विभागों का काम है, जिन्हें डॉक्टरों, विशेषज्ञों, पैरामेडिक्स के नए पद बनाने हैं और फिर उन्हें यूपीएससी और डीएसएसएसबी के माध्यम से भर्ती करना है। एलजी से अपील है कि वह भर्तियों में देरी के लिए जिम्मेदारी तय करें।
भ्रष्टाचार की जांच हो भाजपा
इस मुद्दे पर दिल्ली विधानसभा नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने भाजपा विधायकों के साथ भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में शिकायत की है। गुप्ता ने एसीबी को दी शिकायत में कहा कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में दिल्ली सरकार ने 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिनके लिए कुल 5,590 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया है। उसके बाद भी इन परियोजनाओं में अनावश्यक विलंब हुआ और इनकी लागत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई है।
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