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सागर में घातक हथियारों से मारपीट कर हत्या करने वाले आरोपी लल्लू यादव, आकाश यादव और पप्पू उर्फ लीलाधर यादव को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। प्रकरण की सुनवाई विशेष अपर सत्र न्यायाधीश प्रशांत कुमार सक्सेना की कोर्ट में हुई। जिला अभियोजन के मीडिया प्
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रास्ते में पटवारी प्रशिक्षण शाला बड़तूमा पहुंचने पर बड़तूमा निवासी लल्लू यादव अपनी बुलेरो जीप लेकर आया और जान से मारने की नियत से बाइक को टक्कर मार दी। टक्कर लगने पर वह और उसका भाई जमीन पर गिर गए। तभी बोलेरो गाड़ी से लल्लू यादव, राकेश यादव, नीलेश, पप्पू यादव, आकाश यादव, बिट्टू यादव, दीपचंद उर्फ गचाड़ी यादव और दौलत यादव उतरकर आए। उन्होंने लाठी, पाइप, रॉड, हथौड़ा व सब्बल से भाई पुष्पेंद्र के साथ मारपीट शुरू कर दी। लल्लू यादव ने पुष्पेंद्र को हथौड़ा मारा, खून निकलने लगा, दौलत यादव ने सब्बल से पुष्पेंद्र के दोनों पैरों में मारा, पप्पू व राकेश भी कुल्हाड़ी लेकर आए और पुष्पेंद्र के साथ मारपीट की। जिससे उसे सिर, कमर, पीठ में चोटें आई।
भाई बचाने गया तो उसमें भी पीटा
मैं बीचबचाव करने गया तो गचाड़ी यादव ने लोहे के पाइप से सिर और कोहनी में मुझे मारा। आकाश, नीलेश और बिट्टू भी पाइप लेकर आए। मारपीट करने लगे। जिससे उसे पीठ, सिर व शरीर में अन्य जगह चोटें आई। हम दोनों लोग जान बचाकर मोहल्ले की तरफ भागे। मोहल्ले के लोग आ गए। जिन्हें देखकर सभी आरोपी भागने लगे और गालीगलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी। घटनाक्रम के बाद डायल-100 पुलिस को सूचना दी। मकरोनिया पुलिस मौके पर पहुंची और घायल बृजेंद्र और पुष्पेंद्र को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के दौरान पुष्पेंद्र की मौत हो गई। सूचना पर पुलिस ने मामले में आरोपियों के खिलाफ हत्या का प्रयास, हत्या, बलवा समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया। जांच करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की। जांच पूरी होने पर कोर्ट में चालान पेश किया। न्यायालय ने प्रकरण में सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान अभियोजन ने मामले से जुड़े साक्ष्य व दस्तावेज कोर्ट में पेश किए। चश्मदीद समेत अन्य साक्षियों की गवाही कराई।
4 दोषमुक्त, 3 आरोपियों को हुई सजा
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी लल्लू यादव, आकाश यादव और पप्पू उर्फ लीलाधर यादव को दोषी पाया। न्यायालय ने तीनों आरोपियों को आजीवन सश्रम कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। वहीं प्रकरण के 4 आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया। शासन की ओर से मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सौरभ डिम्हा ने की।
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