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लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर काफी उत्साहित है। पार्टी को भरोसा है कि भाजपा की दस वर्ष की सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर वह चुनाव में बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल करने में सफल रहेगी। पर, इस लक्ष्य को हासिल करने में पार्टी के सामने कई चुनौतियां हैं। पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी के साथ आम आदमी पार्टी के अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है।
हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि लोकसभा में दोनों पार्टियों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। हालांकि, कुरुक्षेत्र से ‘आप’ उम्मीदवार सुशील गुप्ता 29 हजार वोट से हार गए थे। पर कांग्रेस प्रदेश की नौ सीट पर चुनाव लड़कर पांच सीट जीतने में सफल रही। वहीं, उसके वोट प्रतिशत में भी करीब 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इसलिए, पार्टी ‘आप’ के चुनाव लड़ने से नफा-नुकसान का हिसाब लगा रही है।
कांग्रेस, ‘आप’ और दूसरे क्षेत्रीय दलों को उम्मीद है कि दस वर्षों की सत्ता विरोधी लहर, किसान और पहलवानों की नाराजगी के मुद्दों के सहारे वह भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रहेंगे। वहीं, भाजपा को भरोसा है कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और दूसरे दलों के बीच वोट का बंटवारा होने से उसका सियासी नुकसान नहीं होगा। वह इस बार भी अपनी बढ़त बरकरार रखने में सफल रहेगी। गुजरात और गोवा चुनाव परिणाम भाजपा का भरोसा बढ़ाते हैं।
गुजरात और गोवा में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने से नुकसान हुआ है। आम आदमी पार्टी द्वारा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने से पार्टी को काफी नुकसान हुआ। वर्ष 2022 के गुजरात चुनाव में जहां भाजपा रिकॉर्ड 156 सीट जीतने में सफल रही। वहीं, कांग्रेस को 2019 के मुकाबले 60 सीट का नुकसान उठाना पड़ा। ‘आप’ ने सिर्फ पांच सीट जीती, पर कई सीट पर उसके वोट भाजपा और कांग्रेस के बीच हार-जीत के अंतर से अधिक थे।
हरियाणा में राजधानी दिल्ली से लगे क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी का समर्थन बढ़ा है। ‘आप’ ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था। ऐसे में आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव में काफी उम्मीदें हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी चुनाव में पूरी ताकत से मैदान में उतरती है तो भाजपा विरोधी वोट बंट सकता है। इसका राजनीतिक फायदा भाजपा को मिल सकता है।
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