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मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां आजादी के 77 साल बाद भी स्कूल, बिजली, पानी, सामूहिक भवन या शमशान घाट जैसी कोई भी सुविधा नहीं है। गांव की आबादी 2200 के करीब है। ग्रामीणों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन देकर कहा कि अगर 15 दिनों में सुनवाई नहीं की गई तो सामूहिक आत्मदाह जैसा कदम उठाना पड़ेगा।
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के एक गांव में मूलभूत सुविधा नहीं मिलने से नाराज ग्रामीण अर्धनग्न अवस्था में भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लेकर कलेक्टर कार्यलय पहुंचे। यहां प्रदर्शन करते हुए 15 दिनों में समस्या हल करने की चेतावनी दे डाली। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में होने के बावजूद उनके गांव में न तो कोई शासकीय स्कूल है और न ही बिजली, पानी, सामूहिक भवन या शमशान घाट जैसी कोई सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि उनकी मांगे जल्द नहीं मानी गई तो उन्हें सामूहिक आत्मदाह जैसा कदम उठाना पड़ेगा।
उज्जैन शहर से 5 किलोमीटर दूर ग्राम उंडासा में रहने वाले ग्रामीण अपनी मूलभूत सुविधा को लेकर अर्धनग्न अवस्था में कलेक्टर कार्यालय पर पहुंचे। यहां जमकर नारेबाजी करते हुए उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने अपने गांव में मूलभूत सुविधा नहीं होने का जिक्र करते हुए 15 दिनों का समय दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में 22 सौ लोगों की आबादी है। उसके बाद भी आजादी मिलने के 77 साल बाद भी कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। पिछले 10 सालों से लगातार सरकार के साथ स्थानीय प्रशासन को आवेदन और निवेदन करने के बाद भी ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। गांव में स्कूल, बिजली, पानी, सामूहिक भवन और शमशान घाट जैसी कोई भी सुविधा मौजूद नहीं है।
ग्रामीण मनोज मालवीय ने बताया कि उनका गांव मुख्यमंत्री मोहन यादव के विधानसभा क्षेत्र से 5 किलोमीटर की ही दूरी पर है। फिर भी उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है। पिछले 10 सालों से आवेदन देने के बाद आज ग्रामीण अर्धनग्न अवस्था में कोठी कार्यालय में कलेक्टर को ज्ञापन देने के लिए पहुंचे हैं। ग्रामीणों ने जल्द मांगे पूरी नहीं होने की स्थिति में सामूहिक आत्मदाह करने जैसा कदम उठाने की बात कही है।
रिपोर्टः विजेन्द्र यादव
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