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Iran-Israel News: ईरान और इजरायल के बीच खराब संबंधों का इतिहास कई दशक पुराना है. मगर पिछले कुछ महीनों में दोनों मुल्कों की दुश्मनी चरम पर आ पहुंची है. जब से इजरायल ने तेहरान में घुसकर हमास चीफ इस्माइल हानिया की हत्या की है, तब से ही दोनों मुल्क एक-दूसरे के खून के प्यास हो उठे हैं. हालांकि, इजरायल ने आधिकारिक तौर पर हानिया की मौत की जिम्मेदारी नहीं ली है. मगर सब मान रहे हैं कि इस हत्या को अंजाम सिर्फ इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ही दे सकती है.
हालांकि, भले ही ईरान इजरायल से बदला लेने के लिए बेकरार नजर आ रहा है, लेकिन सच्चाई बिल्कुल इसके उलट है. यरुशलम पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में ईरान के ‘इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स’ (IRGC) के संस्थापक मोहसिन साजेगारा ने कहा है कि उनका देश इजरायल के साथ लंबे समय तक युद्ध लड़ने की स्थिति में नहीं है. यहां तक कि ईरान ने अपने ऊपर बड़े पैमाने पर इजरायल के हमले को रोकने के लिए कट्टर दुश्मन अमेरिका से हस्तक्षेप भी करने को कहा है.
इजरायल पर हमला करना चाहते थे सुप्रीम लीडर, फिर क्यों बदला प्लान?
मोहसिन साजेगारा ने ईरान में चल रहे आंतरिक संघर्षों और सुप्रीम लीडर आयातुल्ला अली खामेनेई की चुनौतियों को लेकर भी बात की. उन्होंने बताया कि आखिर क्यों इजरायल पर हमले का प्लान टाला गया. उन्होंने कहा, “इजरायल ने जो किया, तेहरान के केंद्र में जाकर इस्माइल हानिया की हत्या की. वो भी तेहरान की सबसे सुरक्षित इमारत में. ये हत्या ईरान के खुफिया संगठनों का अपमान था. इसने खामेनेई के लिए उनके मुख्य पावरबेस यानी खुफिया सेवाओं के लिए एक समस्या पैदा कर दी है.”
साजेगारा बताते हैं, “खामेनेई का पहला रिएक्शन हमला करना और इसे जारी रखना था. मगर जब उन्होंने अपने सैन्य कमांडरों और आईआरजीसी के एक्सपर्ट्स से राय ली और उनसे पूछा कि क्या करना चाहिए तो उन्हें बताया गया कि ईरान इजरायल से लड़ने के हालात में नहीं है. उनके पास कोई रणनीतिक संतुलन नहीं है. वे इजरायल पर हाइपरसोनिक मिसाइस से हमला कर सकते हैं, जो छह से आठ मिनट में वहां पहुंच जाएंगी. मगर जब इजरायल हमला करेगा तो ईरान बच नहीं पाएगा.”
IRGC संस्थापक ने बताया कि खामेनेई से कहा गया कि ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम मजबूत नहीं है. ईरान इजरायल से लड़ने की स्थिति में नहीं है. सैन्य अधिकारियों ने खामेनेई से कहा कि अगर हम हमला भी करते हैं, तो हमें तुरंत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता करवाने वाले देशों के जरिए युद्धविराम पर विचार करना पड़ सकता है. माना जा रहा है कि इसी वजह से खामेनेई ने इजरायल पर हमले का प्लान कैंसिल कर दिया.
अमेरिका से पर्दे के पीछे बात कर रहा ईरान: मोहसिन साजेगारा
मोहसिन साजेगारा ने ईरान-इजरायल के बीच बढ़ रही टेंशन में अमेरिका की भूमिका को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा, “जहां तक मुझे मालूम है तो ईरान ने पर्दे के पीछे अमेरिका और राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन से बातचीत की है. ईरानी अधिकारियों ने अमेरिका से कहा कि वह इजरायल से बात करे और उसे बताए कि ईरान इजरायल में किसी जगह पर हमला तो करेगा, लेकिन वह वादा करता है कि इसमें किसी की जान नहीं जाएगी. बदले में इजरायल ईरान पर कार्रवाई भी नहीं करे.”
साजेगारा ने कहा, “ईरान ने अमेरिका से कहा कि वह इजरायल पर दबाव डाले कि वह इतनी बड़ी जवाबी कार्रवाई न करे कि मामला आगे बढ़े, लेकिन इस बार अमेरिका नहीं माना और उनसे (ईरान) कहा कि हम इजराइल को नहीं रोक सकते.”
अमेरिका ने IRGC को घोषित किया है आतंकी संगठन
IRGC की स्थापना ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के तुरंत बाद हुई, ताकि देश पर कंट्रोल रखा जा सके. IRGC का काम ईरान की सेना के साथ बैलेंस बनाना भी था, क्योंकि सेना में शामिल कई अधिकारी ईरान के शाह के समर्थक थे. ऐसे में इस्लामिक शासन किसी भी सूरत में सेना पर यकीन नहीं करना चाहता था. IRGC को अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है. मोहसिन IRGC के संस्थापकों में से एक हैं. वह 20 साल पहले ही ईरान छोड़कर अमेरिका चले गए और वहीं जाकर बस गए.
ईरान के सुप्रीम लीडर के आगे क्या चुनौतियां हैं?
सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई के आगे तीन प्रमुख चुनौतियां हैं. इसमें सबसे पहली चुनौती ये है कि अगर ईरान इजरायल पर हमला करता है और जवाब में उसके ऊपर बड़ा हमला हो जाता है, तो ईरानी सेना को हार का सामना करना पड़ सकता है. इसकी वजह से खामेनेई की सत्ता जा सकती है.
दूसरी चुनौती ईरान की अर्थव्यवस्था है, जो अभी नाजुक स्थिति में है. देश में ऊर्जा उत्पादन, महंगाई, बेरोजगारी और रोजाना हड़ताल जैसी समस्याएं हैं. आर्थिक हालातों को ध्यान में रखते हुए खामेनेई चाहकर भी ईरान को युद्ध की आग में नहीं झोंक सकते हैं.
तीसरी चुनौती ये है कि खामेनेई को युद्ध के लिए लोगों का समर्थन नहीं मिल रहा है. खुफिया जानकारियां बता रही हैं कि आम जनता किसी भी सूरत में इजरायल के साथ जंग को तैयार नहीं है. अगर वह युद्ध में जाते हैं तो जनता उनके खिलाफ बगावत कर सकती है, जो बड़ी परेशानी साबित हो जाएगी.
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