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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भूमि सर्वेक्षण में लापरवाही बरतने पर डीडीए अफसरों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। उपराज्यपाल की तरफ से डीडीए को लिखे पत्र में संबंधित अधिकारी को उनके मूल कैडर में प्रतिनियुक्ति के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को सौंपने के निर्देश दिए हैं। अधिकारी पर यह कार्रवाई उनके ढीले रवैये के चलते की गई है। अधिकारी भूमि का ड्रोन सर्वे करने के एक त्रिपक्षीय समझौते को अंतिम रूप देने में विफल रहे थे।
उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष को लिखे एक पत्र में इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है। पत्र में बताया गया कि उपराज्यपाल की अध्यक्षता में ड्रोन सर्वेक्षणों का उपयोग करने के संबंध में कई बैठकें हुईं, जिनमें भूमि की वर्तमान स्थिति, अतिक्रमण, अनधिकृत निर्माण और अन्य बदलावों का पता लगाने के लिए डेटा तैयार और विश्लेषण किया जाना था। यह बैठकें 6 जून, 2 अगस्त, और 16 अगस्त को आयोजित की थी।
एलजी ने भूमि सर्वेक्षण को लेकर गंभीर चिंता जताई
पत्र में इस बात पर गंभीर चिंता जताई गई कि जून में ही यह वादा किया गया था कि डीडीए, एमसीडी और सर्वे ऑफ इंडिया के बीच त्रिपक्षीय समझौते को एक सप्ताह के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा और जमीन पर काम शुरू होगा, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि 16 अगस्त को हुई बैठक में डीडीए के भूमि प्रबंधन आयुक्त ने समझौते के नहीं होने का कारण बताते हुए कहा कि सर्वे ऑफ इंडिया ने कुछ मुद्दों को लेकर आपत्ति जताई थी।
पत्र में आरोप लगाया गया है कि 16 अगस्त को हुई एक बैठक में, डीडीए के भूमि प्रबंधन आयुक्त ने ‘यह कहकर समझौते न होने के बारे में छिपाने की कोशिश की कि एसओआई ने कुछ मुद्दों को चिह्नित किया है’ जबकि बैठक में मौजूद अधिकारियों ने कहा कि उन्हें अभी तक समझौते की एक प्रति भी नहीं मिली है। पत्र में कहा गया, ‘उन्हें सौंपे गए कार्य में उनका रवैया उदासीन रहा है। माननीय उपराज्यपाल ने इच्छा व्यक्त की है कि उन्हें तत्काल उनके मूल कैडर में वापस भेज दिया जाए।’
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