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76 वर्ष निर्देशक कई सालों से सीओपीडी से भी पीड़ित थे चक्रवर्ती के निधन पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जताया शोक
कोलकाता, एजेंसी। चोख जैसी कला फिल्मों के लिए मशहूर बंगाली निर्देशक उत्पलेंदु चक्रवर्ती का मंगलवार शाम उनके आवास पर निधन हो गया। उनके परिवार ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि 76 वर्षीय चक्रवर्ती का शाम करीब 6 बजे रीजेंट पार्क स्थित उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके परिवार में उनकी बेटियां, अभिनेत्री रिताभरी और चित्रांगदा तथा पत्नी सतरूपा सान्याल हैं, जो एक फिल्म निर्माता भी हैं।
उत्पलेंदु चक्रवर्ती को 1983 में चोख के लिए सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इसके अलावा 1981 में निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार भी मिला। उन्हें एनएफडीसी पुरस्कार और राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला।
उन्हें मोयनतादंतो (1980), चंदनीर (1989), फांसी (1988) और देबसिशु (1987) जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। उत्पलेंदु चक्रवर्ती ने स्कॉटिश चर्च कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी और वामपंथी सक्रियता में शामिल थे। उन्होंने सत्यजीत रे और रवींद्र संगीत के प्रतिपादक देवव्रत बिस्वास के संगीत पर वृत्तचित्र बनाए हैं। अकेले रहने वाले उत्पलेंदु चक्रवर्ती को अप्रैल में बाथरूम में ठोकर लगने से फ्रैक्चर हो गया था। इसके लिए उनकी सर्जरी हुई थी। वह कई सालों से सीओपीडी से भी पीड़ित थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से फिल्म उद्योग में एक खालीपन पैदा हो जाएगा। देश के सबसे पुराने फिल्म क्लबों में से एक सिने सेंट्रल ने चक्रवर्ती के निधन पर शोक व्यक्त किया। क्लब के वरिष्ठ सदस्य फिल्म पत्रकार सजल दत्ता ने बताया, वह हमारे कार्यालय में नियमित रूप से आते थे। हम फिल्मों पर चर्चा करते थे। उनके करियर के शुरुआती दौर में हमारी एक फिल्म बनाने की योजना भी थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। क्योंकि वह एक के बाद एक फिल्में बनाने में व्यस्त हो गए।
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