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झारखंड में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने सरकार द्वारा जारी किए गए एक आदेश का पालन करने से इंकार कर दिया है। उन लोगों ने इसके लिए कई तर्क दिए कि आखिर क्यों वो इस आदेश का पालन नहीं कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि हम अपने कार्यस्थल पर समय से पहुंच गए थे, लेकिन फिर भी हमने पुराने नियमों का ही पालन किया। आइए जानते हैं कि आखिर कौन से नए सरकारी आदेश दोनो के बीच आपसी सहमती बनती नहीं दिख रही है।
दरअसल सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों को बायोमेट्रिक अटेंडेंस के जरिए उपस्थिति दर्ज करने का आदेश दिया गया है। मगर सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने मंगलवार को बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली का बहिष्कार किया। उन्होंने इस तकनीक को आपातकालीन सेवाओं के लिए अव्यवहारिक करार देते हुए इसके वजाय पुराने नियमों को ही अपनाए रखने का बात कही।
डॉक्टरों ने दावा किया कि वे अपने काम के स्थान पर यानी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र पर तय समय पर पहुंच गए, लेकिन विरोध के तौर पर बायोमेट्रिक उपस्थिति नहीं दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने बायोमेट्रिक के बजाय पुराने तरीके से ही हाजिरी लगाई।
जेएचएसए के राज्य सचिव मृत्युंजय ठाकुर सिंह ने कहा कि पत्र में आपातकालीन सेवाओं का जिक्र नहीं है। उन्होंने अपनी बात को रखते हुए कहा कि इसमें सामान्य कर्मचारियों के लिए सुबह 10:30 बजे से शाम पांच बजे तक ड्यूटी का समय तय किया गया है। वहीं सचिवालय कर्मचारियों के लिए यह समय सुबह 10:30 बजे से शाम छह बजे तक का है।
सचिव ने सवाल करते हुए पूछा, क्या चिकित्सक इस निर्धारित समयावधि में काम कर सकते हैं? अगर कोई चिकित्सक आपातकालीन स्थिति में अतिरिक्त घंटे काम करता है, तो क्या उसे सेवा के लिए अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा? पत्र में इन बातों को स्पष्ट नहीं किया गया है।
झारखंड आईएमए के सचिव प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि यह आदेश उन लोगों पर लागू नहीं किया जा सकता जो पुलिस और चिकित्सा जैसी आपातकालीन सेवाओं में हैं, क्योंकि यह व्यवहार्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों के लिए संभव हो सकता है जिनके ड्यूटी के घंटे तय हैं। चिकित्सकों के ड्यूटी के घंटे तय नहीं हैं। अगर कोई चिकित्सक ऑपरेशन थियेटर में गंभीर सर्जरी में लगा हुआ है तो वह बायोमेट्रिक नियमों का पालन नहीं कर सकता है।
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