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झारखंड के स्वास्थ्य एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री बन्ना गुप्ता ने पूर्व सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री चंपाई सोरेन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि झारखंड के इतिहास में चंपाई सोरेन को सरकार में रहते भितरघात के लिए याद किया जाएगा। जिस पार्टी-माटी ने उन्हें सबकुछ दिया, उसे ठुकरा कर आत्मसम्मान से समझौता कर सरकार को तोड़ने का काम कर रहे थे। हालांकि, समय रहते चीजें सामने आ गई तो सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे हैं। सच यह है कि वे अपनी करनी पर पछता रहे हैं।
बन्ना गुप्ता ने चंपाई को कहा कुर्सी का लोभी
बन्ना ने कहा, गुरुजी शिबू सोरेन ने साधारण व्यक्ति को जमशेदपुर से निकाल पहचान दी। मान-सम्मान दिया। पार्टी में अपने बाद का ओहदा दिया। झामुमो की सरकारों में मंत्री बनाया, पर चंपाई ने राज्य को मौकापरस्ती के दलदल में झोंकना चाहा। उन्होंने कहा कि चंपाई ने 2019 का चुनाव हेमंत सोरेन के चेहरे पर लड़ा था। जनादेश हेमंत और गुरुजी को मिला था, पर अनुकंपा पर मिली कुर्सी को चंपाई अधिकार समझने लगे। सच तो यह है कि वह सत्ता और कुर्सी के लोभी हैं। जिस दिन हेमंत जेल से बाहर आए, उसी दिन चंपाई को इस्तीफा देना चाहिए था, लेकिन वह ट्रांसफर-पोस्टिंग में लगे थे।
सीएम बनाया तब तानाशाही नहीं लगी: बन्ना
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने एक बयान जारी कर चंपाई सोरेन पर आरोप लगाया है कि जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने, तब वह मंत्री पद मांगने की जिद पर अड़े थे। उन्हें कई वरिष्ठ नेता कोल्हान में रामदास सोरेन, दशरथ गगराई को मंत्री बनाने का मौका देने की पहल करनी चाहिए थी, लेकिन चंपाई मंत्री बनने के लिए नाराज तक हो गए थे। यदि किसी ने कुर्बानी दी तो वे थे बसंत सोरेन, क्योंकि उनके शरीर में गुरुजी का खून है। हेमंत सोरेन जब जेल जाने लगे तो उन्होंने सभी सत्ता पक्ष के विधायकों से चंपाई सोरेन को सीएम बनाने की बात कही तो हम सभी ने सहमति जताई। जब खुद को मुख्यमंत्री बनने की बात थी तो वो निर्णय चंपाई सोरेन को बुरा नहीं लगा, प्रोटोकॉल के विरुद्ध नहीं लगा, तानाशाही नहीं लगी?
भाजपा को खुश करने में लगे थे: बन्ना गुप्ता
बन्ना ने अपने बयान में कहा है कि जब हेमंत सोरेन जेल से छूटकर आ रहे थे, उस वक्त चंपाई कैबिनेट की बैठक में व्यस्त थे, जबकि इतिहास गवाह है कि जब वनवास के बाद प्रभु श्रीराम वापस आए तो भरत ने उनका स्वागत कर उन्हें राजसिंहासन पर बैठने का आग्रह किया था। बन्ना ने आरोप लगाया है कि जब पार्टी और गठबंधन बुरे दौर से गुजर रहा था तो चंपाई भाजपा नेताओं से अपनी सेटिंग बैठा रहे थे। सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब हेमंत जेल में थे तो केंद्र सरकार की कानून बदलने वाली योजना को हर अखबार के प्रमुख पन्नों में अपने फोटो के साथ छपाकर वे कौन-सा गठबंधन धर्म निभा रहे थे? जबकि इंडिया गठबंधन देश में इसका विरोध कर रहा था, लेकिन चंपाई भाजपा से अपना संबंध बढ़ाने और भाजपा नेतृत्व को खुश करने में लगे हुए थे।
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