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गोहाना में तेज बारिश के बीच बाइक पर गुजरता व्यक्ति।
हरियाणा में 3 दिन बाद मानसून फिर से एक्टिव हो गया है। मौसम विभाग ने 7 जिलों में बारिश की चेतावनी जारी की है। इनमें भिवानी, झज्जर, रोहतक, भिवानी, हिसार, सोनीपत, जींद शामिल हैं। यहां बारिश के साथ 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती
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हालांकि कुछ जिलों में सुबह से ही बारिश शुरू हो चुकी है। पानीपत, हिसार, सोनीपत और महेंद्रगढ़ के कुछ इलाकों में सुबह ही अच्छी बारिश देखने को मिली। अधिकतर शहरों में बादल छाए।
24 घंटे में सूबे के 6 जिलों में झमाझम बारिश हुई। सबसे ज्यादा हिसार में बरसात हुई। यहां 49 MM बारिश रिकॉर्ड दर्ज की गई।
महेंद्रगढ़ में सुबह 6 बजे बूंदाबांदी शुरू हुई।
हिसार के नारनौंद में भी सुबह तेज बारिश हुई।
16 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई
हरियाणा के 16 जिलों में मानसून की बारिश सामान्य से कम हुई है। कैथल, करनाल और पंचकूला जिले ताे ऐसे हैं, जहां सामान्य से आधी बारिश भी नहीं हाे पाई। हिसार, जींद, यमुनानगर, पलवल और रोहतक जिलाें में सामान्य से 30 प्रतिशत से भी कम बारिश हाे पाई है।
महेंद्रगढ़ और नूंह जिलाें में जमकर बादल बरसे हैं। नूंह में सामान्य से 63 प्रतिशत और महेंद्रगढ़ जिले में सामान्य से 51 प्रतिशत तक अधिक बारिश दर्ज की गई है।
अधिकतम तापमान 32 से 35 डिग्री के बीच
प्रदेश में बीते तीन-चार दिनों से बारिश के चलते अधिकतम व न्यूनतम तापमान के बीच भी अंतर कम बचा है। सभी जिलों में अधिकतम तापमान 32 से 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना है, जबकि न्यूनतम तापमान 24 से 29 डिग्री बना हुआ है।
अगस्त में मेहरबान मानसून
अगर आंकड़ों को देखें तो हरियाणा के 22 जिलों में अगस्त के 10 दिनों में अभी तक सामान्य से 42% अधिक बारिश हुई है। अभी तक सभी जगह 53.9 एमएम बारिश होनी थी, लेकिन इन दस दिनों में 76.7 एमएम बारिश हो चुकी है। इनमें फतेहाबाद, हिसार, कैथल, करनाल, पलवल, पंचकूला, पानीपत में सामान्य से कम बारिश हुई है।
जुलाई में कम हुई बरसात
हरियाणा में जुलाई में इस बार 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकड़ों को देखे तो 2018 में 549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में 472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है।
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