[ad_1]
.
एसटी परमिट की बसों का परमिट सरकारी है, मगर उनके नियम-कायदे अपनकी मनमर्जी के हैं। रक्षाबंधन पर ट्रांसपोर्टर्स ने जमकर परिवहन विभाग के नियम, कायदे और कानून तोड़े हैं, मगर आरटीए अधिकारियों ने अभी तक सिर्फ एक बस पर भी कानूनी कार्रवाई नहीं की है। सूचना है सोमवार शाम करीब 5 बजे आरटीए के कुछ अधिकारी रोडवेज बस स्टैंड में आए थे, जिन्होंने बसों की जांच की थी, मगर किसी बस पर कार्रवाई नहीं की। इसकी पुष्टि करने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने आरटीए के अधिकारियों से संपर्क भी किया, मगर देर रात तक फॉन स्विच-ऑफ रहा। ऐसे में रक्षाबंधन फ्री सेवा विभाग के लिए सिर्फ औपचारिक रहा। हालांकि, रोडवेज बसों में महिलाओं ने मुफ्त सफर का लाभ लिया। बता दें, फ्री सफर रात 12 बजे तक था, आज से सभी बसों में किराया लगेगा।
गौरतलब है कि रक्षाबंधन पर परिवहन विभाग ने महिलाओं को 36 घंटे फ्री सुविधा दी थी, जो नियम रोडवेज, किलोमीटर स्कीम तथा एसटी परमिट की निजी बसों पर भी लागू थे, लेकिन एसटी परमिट की बसों ने सिर्फ 1 घंटा भी बसों को फ्री नहीं किया। दैनिक भास्कर ने यह मुद्दा उठाया और इस खबर को प्रमुखता से ‘फ्री-सेवा की अनाउंसमेंट होते ही एसटी परमिट बस आकर रुकी, 20 बहनें चढ़ी, कंडक्टर ने किराया मांगा… 15 उतरी गई’ हेडलाइन के साथ प्रकाशित की थी, जिसके बाद आरटीए के अधिकारी सोमवार शाम को बस स्टैंड में जांच करने भी आए थे, मगर कार्रवाई सिर्फ एक बस पर भी नहीं हुई, जबकि एसटी परमिट की बसों के कंडक्टर खुलेआम बहनों को दबंगई दिखाकर तथा परिवहन विभाग के नियम और कानून तोड़कर किराया वसूल रहे थे। दैनिक भास्कर की टीम ने एसटी परमिट बस के कंडक्टर से कहा कि साथ में महिला भी है तो कंडक्टर ने फ्री में जाने से बिल्कुल इंकार कर दिया। रिपोर्टर ने कहा कि रक्षाबंधन पर परिवहन विभाग ने महिला की टिकट फ्री कर रखी हैं तो कंडक्टर ने कहा कि हमारी बस पर सिर्फ हमारे नियम चलते हैं।
जबरदस्ती किराया लिया… नहीं दिया तो उतारने की धमकी दी इस दौरान एसटी परमिट की बसों में सफर करके आई महिलाओं से भी दैनिक भास्कर की टीम ने बात की। महिलाओं ने बताया कि रोडवेज की बसों में अधिक भीड़ थी, इसलिए एसटी परमिट की बसों में बैठना पड़ा। कंडक्टर से कहा था कि रक्षाबंधन पर महिला यात्रा फ्री है, लेकिन कंडक्टर ने जबरदस्ती किराया ले लिया। वहीं, कुछ महिलाओं ने बताया कि कंडक्टर ने कहा था कि अगर फ्री में सफर करना है तो रोडवेज की बस मे करो, यह प्राइवेट है इसमें तो किराया लगेगा। वहीं, कुछ महिलाओं ने किराया देने से इंकार किया तो कंडक्टर ने नीचे उतारने की धमकी दी, जिसके कारण महिलाओं को किराया देना पड़ा।
बस स्टैंड पर एक भी शिकायत केन्द्र नहीं आखिर कहां कंप्लेंट दर्ज करें महिलाएं विभाग की ओर से बस स्टैंड परिसर में न आरटीए की ओर से कोई शिकायत केन्द्र बनाया गया और न ही रोडवेज डिपो की ओर से। ऐसे में महिलाएं शिकायत कहां करें? विशेषज्ञों का कहना है कि रोडवेज या आरटीए की ओर से स्पेशल 2-3 शिकायत केन्द्र लगाने चाहिए थे, ताकि जिन महिलाओं से एसटी परमिट बस कंडक्टर किराया मांगें तो वहां उनकी बस नंबर बताकर शिकायत की जा सके। हालांकि, पूछताछ केन्द्र चालू था, लेकिन वहां ऐसे मामलों की शिकायत नहीं की जा रही थी।
[ad_2]
Source link