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मस्कुलोस्केलेटल सोसाइटी कॉन्फ्रेंस के 12वें संस्करण का दूसरा दिन टॉक सेशन, लेक्चर और लाइव डेमोंस्ट्रेशन के नाम रहा।
मस्कुलोस्केलेटल सोसाइटी कॉन्फ्रेंस के 12वें संस्करण का दूसरा दिन टॉक सेशन, लेक्चर और लाइव डेमोंस्ट्रेशन के नाम रहा। सेरेमनी में मुख्य अतिथि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स साइंस के डायरेक्टर डॉ. भीभू कल्याण नायक और गेस्ट ऑफ ऑनर रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ
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डॉ. भीभू कल्याण नायक ने बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी, ज्वाइंट पेन, नर्व पेन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में मस्कुलोस्केलेटल इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी की भूमिका स्टेथोस्कोप की तरह है।
डॉ. भीभू कल्याण नायक ने बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी, ज्वाइंट पेन, नर्व पेन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में मस्कुलोस्केलेटल इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी की भूमिका स्टेथोस्कोप की तरह है। इससे आप समस्या की जड़ और कारण का तुरंत पता लगा सकते है। सही डाइग्नोस के बाद ही इलाज को सही दिशा मिलती है। इसके बाद उपचार की पद्धति तय की जाती है और पता चलता है कि मरीज कितने समय में रिकवर हो सकता है। उन्होंने कहा कि मस्कुलोस्केलेटल सोसाइटी ने दुनियाभर से एक्सपर्ट्स को एक मंच पर लाकर तकनीक साझा करने और सभी को मॉर्डन प्रोसिजर से रूबरू कराने का प्रशंसनीय प्रयास इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया है। डॉ. अब्दुल्ला अलरेमैथी ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस और वर्कशॉप का हिस्सा बनना सम्मान की बात है, मैं वक्ताओं की क्षमता से बहुत प्रभावित हूं। यह स्पष्ट है कि भारत मस्कुलोस्केलेटल इमेजिंग की दिशा में उन्नत तकनीकों की ओर बढ़ रहा है।
शनिवार को आर्थराइटिस डाइग्नोसिस, क्रिस्टल आर्थोपैथी, सेरोनेगेटिव आर्थराइटिस, केस बेस्ड आर्थराइटिस चैलेंज, शोल्डर स्पेक्ट्रम समेत अन्य सब्जेक्ट्स पर लेक्चर, पैनल डिस्कशन, मोटिवेशनल सेशन, क्विज आदि का आयोजन किया गया। इससे पहले मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड, एमआरआई से ज्वाइंट्स की बीमारियों को डाइग्नोस करने के लिए बेसिक और एडवांस लेवल वर्कशॉप और कैडेवर पर डिजीज ट्रीटमेंट वर्कशॉप आयोजित की गयी थी। रविवार को विभिन्न विषयों पर टॉक, लेक्चर होंगे। ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी एवं डायरेक्टर, जयपुर इंस्टीट्यूट ऑफ पेन एंड स्पोर्ट्स इन्जुरीज (JIPSI) के अध्यक्ष डॉ. गौरव कान्त शर्मा ने बताया कि मस्कुलोस्केलेटल इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट की संख्या देश में बहुत कम है। इस कॉन्फ्रेंस में एक्सपर्ट्स के मार्गदर्शन में वर्कशॉप, लेक्चर, लाइव डेमोंस्ट्रेशन और केस स्टडीज के जरिए डॉक्टर के साथ एडवांस टेक्नोलॉजी साझा की जा रही है।
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