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नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन जंग और इजरायल-हमास युद्ध में दुनिया तबाही देख चुकी है. ड्रोन और मिसाइलों के अटैक ने लाखों जिंदगियों को बर्बाद कर दिया. करोड़ों लोग बेघर हो गए, मगर युद्ध की तपिश अब भी जस की तस है. ऐसा लग रहा है कि यूक्रेन जंग तो दुनिया के लिए ट्रेलर है. जिस तरह से दुनियाभर के देश अपने शस्त्रागार को मजूबत करने में लगे हैं, ऐसे में लग रहा कि जंग की पूरी फिल्म तो अभी बाकी है. जी हां, हमास-इजरायल और यूक्रेन जंग के बीच फिर से हथियार बनाने की होड़ मच गई है. नए शीत युद्ध में मिसाइलों की दौड़ और भी तेज हो गई है. एक ओर जहां उत्तर कोरिया अपने बैलेस्टिक मिसाइलों का जखीरा बढ़ा रहा है तो दूसरी ओर अमेरिका के साथ मिलकर जापान भी इंटरसेप्टर मिसाइलें बना रहा है.
जिस गति से ये देश अपने-अपने मिसाइलों का जखीरा बढ़ा रहे हैं, ऐसे में यूक्रेन जंग में एक नए तरह का खतरा पैदा हो गया है. इन मिसाइलों की वजह से यूक्रेन में एक ऐसी जंग छिड़ सकती है, जिसमें दोनों ही पक्ष एक-दूसरे को कमजोर करने की कोशिश करेंगे. दरअसल, इस महीने की शुरुआत में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट आई थी. उसमें बताया गया कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया से लगी सीमा पर तैनात कोरियाई पीपुल्स आर्मी (केपीए) की यूनिट्स को 250 नए टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर देने के निर्देश दिए हैं. यह रिपोर्ट कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) की एक रिपोर्ट पर आधारित थी.
साउथ कोरिया पर भी खतरा?
उत्तर कोरिया के इस कदम से अब साउथ कोरिया पर हमले का खतरा मंडराने लगा है. साथ ही यूक्रेन जंग की आग भी और भड़कने का अंदेशा है. खुद दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के प्रवक्ता इस डर को व्यक्त किया है. प्रवक्ता ली सुंग-जून के मुताबिक, लेटेस्ट डेवलपमेंट साउथ कोरिया कोरिया के लिए संभावित खतरा हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि किम जोंग उन ने पर्सनली इस बैलेस्टिक मिसाइल लॉन्चर को डिजाइन किया है. माना जा रहा है कि हमला करने के लिए ही ये लॉन्चर तैयार किए गए हैं. साथ ही ये लॉन्चर विभिन्न सामरिक अभियानों के लिए माकूल हैं.
नॉर्थ कोरिया ने क्या दलील दी
दरअसल, नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने दावा किया था कि अमेरिका न्यूक्लियर बेस्ड मिलिट्री ब्लॉक बना रहा है. अमेरिका के इसी कदम की वजह से उत्तर कोरिया को भी अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने पर विवश होना पड़ा है. तानाशाह का बयान और सैन्य क्षमता के प्रदर्शन की टाइमिंग अमेरिका और साउथ कोरिया के बीच अपकमिंग संयुक्त वार्षिक सैन्य अभ्यास के साथ मेल खाता है. अमेरिका और साउथ कोरिया के ज्वाइंट मिलिट्री ड्रील को उल्ची फ्रीडम शील्ड के नाम से जाना जाता है. रॉयटर्स की रिपोर्ट की मानें तो उत्तर कोरिया के इन कदमों का उद्देश्य अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करना और सैन्य अभ्यास का जवाब देना है. उत्तर कोरिया का मानना है कि अमेरिका साउथ कोरिया के साथ मिलकर उस पर हमले की योजना बना रहा है और इसी वजह से वह बार-बार युद्धाभ्यास करता रहा है. उत्तर कोरिया शुरू से ही अमेरिका-साउथ कोरिया के युद्धाभ्यास का आलोचना करता रहा है.
अमेरिका भर रहा शस्त्रागार
वहीं, स्टार्स एंड स्ट्राइप्स की मानें तो जापान अब अमेरिका को मिसाइलें बेचेगा. इसी महीने बताया गया कि जापान अब अमेरिका को अपनी घरेलू स्तर पर निर्मित मिसाइलें बेचना शुरू कर देगा. यह सौदा लगभग 19.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के पैट्रियट एडवांस्ड कैपेबिलिटी-3 (PAC-3) इंटरसेप्टर से जुड़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बिक्री का उद्देश्य अमेरिका के मिसाइल भंडार को फिर से भरना है, जो यूक्रेन को दिए गए मदद के बीच कम हो गया है. इसका मतलब है कि अमेरिका का शस्त्रागार फिर से भरने वाला है. बताया जा रहा है कि अमेरिका और जापान मिलकर 100 PAC-3 इंटरसेप्टर और एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल बनाएंगे.
कैसे और भड़क सकती है जंग की आग?
यहां जानना यह भी जरूरी है कि एक ओर जहां उत्तर कोरिया रूस को मिसाइलें देकर मदद कर रहा है, उधर अमेरिका यूक्रेन को लगातार मिसाइल दे रहा है. अब ऐसे में जह उत्तर कोरिया और अमेरिका लगातार अपने शस्त्रागार में हथियारों की संख्या को बढ़ाएंगे तो युद्ध की आग और भड़क सकती है. माना जा रहा है कि नॉर्थ कोरिया रूस को अपना मदद जारी रखेगा. वहीं अमेरिका ने भी कसम खाई है कि वह यूक्रेन की हर हाल में मदद करता रहेगा. वहीं, रूस को ईरान से भी मदद मिल रही है. ऐसे में हथियारों का जखीरा बढ़ना, महाजंग की ओर इशारा कर रहा है.
Tags: Russia ukraine war, Ukraine war, US News
FIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 10:33 IST
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