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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के साथ ही झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा की संभावना थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब राज्य में चुनाव कम से कम दो महीने के लिए टल गया है। चुनाव टलते ही सियासी दिग्गजों के दलबदल की अटकलें तेज होने लगी हैं।
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झारखंड की सत्ताधारी पार्टी JMM में बड़ी टूटी की संभावना जताई जा रही है। झारखंड के सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं की मानें तो पूर्व सीएम चंपाई सोरेन कोल्हान क्षेत्र के कुछ विधायकों के साथ BJP का दामन थाम सकते हैं। इसके अलावा JMM से निष्कासित लोबिन हेंब्रम और बहरागोड़ा विधायक समीर मोहंती के भी पाला बदलने की सूचना है।
JMM के बड़े नेताओं को तोड़कर BJP ये मैसेज देना चाह रही है कि JMM में आदिवासी नेताओं की इज्जत नहीं है। हेमंत सोरेन केवल अपने परिवार को ही बढ़ाते हैं।
इन सबके बीच झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने BJP में शामिल होने की अफवाहों पर कहा, “क्या अफवाहें हैं, नहीं हैं, यह हमें नहीं पता। हमें खबर ही नहीं पता है तो हम सच, झूठ का क्या आकलन करेंगे। हमें कुछ नहीं पता है, हम जहां हैं वहीं हैं।”
दैनिक भास्कर की इस स्पेशल रिपोर्ट में हम बताएंगे कि आखिर क्यों JMM के सीनियर लीडर को BJP अपने साथ जोड़ना चाहती है? इनके साथ आने से BJP को क्या लाभ होगा? अगर BJP के साथ आते है तो इसका JMM पर क्या असर पड़ सकता है? इनका पार्टी छोड़ने का क्या कारण हो सकता है?
सबसे पहले जानिए इन तीनों की ताकत क्या है और JMM से नाराज क्यों हैं…
चंपाई सोरेन: कोल्हान टाइगर कहलाते हैं, यहां की 14 सीटों पर असर
चंपाई सोरेन की गिनती JMM के सीनियर लीडर के रूप में होती है। झारखंड के कोल्हान इलाके में उन्हें कोल्हान टाइगर के नाम से जाना जाता है। इनका यहां की 14 सीटों पर असर है। पार्टी में इनके कद का यहां कोई दूसरा नेता नहीं है। इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि जब जमीन घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में सीएम हेमंत सोरेन जेल गए तो सोरेन परिवार ने उन्हें ही अपना उत्तराधिकारी चुना।
हेमंत सोरेन जेल गए तो सोरेन परिवार ने चंपाई सोरेन को ही अपना उत्तराधिकारी चुना।
क्यों पार्टी छोड़ना चाहते हैं: हेमंत जेल से बाहर निकले। इसके बाद चंपाई सोरेन को सीएम के पद से बेदखल कर दिया गया। जबकि चंपाई इस टर्म तक सीएम बने रहना चाहते थे। हेमंत यह साबित करने में जुट गए कि चंपाई बेहतर ढंग से शासन नहीं चला सके। इससे चंपाई सोरेन का पार्टी के प्रति मोह भंग होता चला गया।
पार्टी छोड़ने का एक और बड़ा कारण अपने बेटे को सेट करना बताया जा रहा है। वे अपने बेटे बाबूलाल के लिए विधानसभा सीट चाहते हैं। सूत्रों की माने तो BJP उनके बेटे के लिए घाटशिला और पोटका सीट ऑफर कर सकती है। JMM में रहते हुए उनके लिए ये कर पाना संभव नहीं दिख रहा है।
लोबिन हेंब्रम: मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज, हेमंत के विरोध में
लोबिन हेंब्रम की गिनती शिबू सोरेन के वफादार सिपाही के रूप में होती है। 1990 में पहली बार विधायक बने लोबिन अब तक 5 बार बोरियो से विधायक चुने गए हैं। हेमंत सोरेन के पहले टर्म में उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई थी, लेकिन अब लोबिन हेमंत कैबिनेट में नहीं हैं।
2019 में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद से ही लोबिन हेंब्रम बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं।
पार्टी क्यों छोड़ना चाहते हैं: 2019 में जब से हेमंत सोरेन की सरकार बनी है, तब से लोबिन हेंब्रम बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं। पहले मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज थे। इसके अलावा उन्हें किसी आयोग में भी जगह नहीं दी गई। इससे नाराज होकर लोबिन स्थानीय नीति और सरणा के मुद्दों पर हेमंत सरकार को घेरने लगे।
लोकसभा चुनाव में लोबिन हेंब्रम ने राजमहल लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया था। चुनाव के बाद उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। विधानसभा से उनकी सदस्यता भी खत्म कर दी गई। अब उनके पास BJP में जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
समीर मोहंती: JMM से टिकट कटने का अंदेशा, कभी एक पार्टी में नहीं टिके
समीर मोहंती कभी भी एक पार्टी में टिक कर नहीं रहे हैं। वे लगभग हर चुनाव में अपनी पार्टी बदलने के लिए जाने जाते हैं। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत JMM से की। 2014 में पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा बनाया, तब उसमें शामिल हुए थे। इसके बाद बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े। पिछले चुनाव में 10 साल बाद JMM में वापसी की थी।
समीर मोहंती लगभग हर चुनाव में अपनी पार्टी बदलने के लिए जाने जाते हैं।
अब पार्टी क्यों छोड़ना चाहते हैं: पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा से कुणाल षाडंगी को टिकट दे सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान षाडंगी JMM से इस्तीफा देकर BJP में शामिल हुए थे। सूत्रों की माने तो JMM में उनके शामिल होने की बस औपचारिकता भर रह गई है। ऐसे में समीर मोहंती BJP में शामिल होकर अपना टिकट पक्का करना चाहते हैं।
अब 3 पॉइंट में जानिए, BJP को क्या हासिल होगा
1.JMM में भगदड़ का नैरेटिव सेट करना चाहती है BJP
झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार ने कहा कि ‘BJP यह मैसेज देना चाहेगी कि JMM में सीनियर आदिवासी नेताओं की कोई इज्जत नहीं है। हेमंत सोरेन सारा पावर अपने परिवार तक ही सीमित कर रखना चाहते है। इसके साथ ही BJP दिखाना चाहती है कि इज्जत नहीं मिलने के कारण शिबू सोरेन के वफादार रहे सभी नेता अब हमारे साथ हैं।
2. कोल्हान में मुरझाए कमल को खिलाने की कोशिश
कोल्हान में विधानसभा की 14 सीटें हैं। पिछले चुनाव में यहां से BJP का पूरी तरह से सफाया हो गया था। इन्हीं इलाके से आने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी चुनाव में सरयू राय ने हराया था। अब BJP आगामी विधानसभा चुनाव में हर हाल में यहां से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश करेंगी। ऐसे में चंपाई सोरेन इस इलाके में उनके लिए संजीवनी साबित हो सकते हैं।
3. BJP के निशाने पर आदिवासी के लिए आरक्षित 28 सीटें वरिष्ठ पत्रकार अमरेंद्र कुमार कहते हैं कि ‘BJP ने अपने सबसे बड़े आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी के हाथ में पार्टी का कमान दी है। इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा जैसे पावरफुल चेहरे को हार का सामने करना पड़ा था। अब हर हाल में पार्टी इससे उबरना चाहती है।’
क्या इस दांव से बीजेपी को लाभ होगा
इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार कहते हैं कि ‘इसमें संदेह है कि नेता अपने साथ JMM का वोट भी ले जाएं। BJP लोकसभा चुनाव में ये प्रयोग कर चुकी है, लेकिन पार्टी इसमें पूरी तरह फेल रही है।’ लोकसभा चुनाव के दौरान चाईबासा में कांग्रेस की बड़ी लीडर गीता कोड़ा और दुमका से हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को अपने पाले करने में कामयाब रही। दोनों को लोकसभा का टिकट भी मिला, लेकिन दोनों हार गईं। ऐसे में ये संशय बना रहेगा कि लोबिन हेंब्रम, चंपाई सोरेन और समीर मोहंती के BJP में शामिल होने से JMM का वोट भी उनके साथ शिफ्ट हो जाए।
JMM को नुकसान-परिवार के साथ वफादार का भरोसा टूटना
अगर BJP इन नेताओं को तोड़ने में कामयाब होती है, तब JMM के भीतर नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। लोकसभा चुनाव के दौरान परिवार का पार्टी से मोह छूटा। इसके बाद अब पार्टी के वफादार और पुराने नेता साथ छोड़ते हैं तो JMM में अविश्वास और अस्थिरता का माहौल बनेगा। चंपाई और लोबिन जैसे नेताओं ने अपनी पूरी उम्र पार्टी को समर्पित कर दी है। इसका लाभ चुनाव में BJP उठाएगी। इस स्थिति में हेमंत सोरेन कभी नहीं चाहेंगे कि चंपाई पार्टी छोड़कर जाएं।
पूरे अभियान को लीड कर रहे हैं हिमंत बिस्व सरमा
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि BJP ने झारखंड में सत्ता वापसी की जिम्मेदारी असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा को दी है। इस पूरी मुहिम को वे खुद लीड कर रहे हैं। हर सप्ताह वे झारखंड का दौरा कर रहे हैं। अलग-अलग इलाकों में घूम रहे हैं। पार्टी किस मुद्दे को बढ़ाएगी, सदन से लेकर सड़क तक पार्टी की क्या नीति होगी, सब कुछ वे खुद तय कर रहे हैं।
यही कारण है कि पार्टी अपने पुराने एजेंडे को छोड़ कर आदिवासियों का मुस्लिम में कन्वर्जन जैसे मुद्दे को मजबूती से उठा रही है। हिमंत को सियासत में जोड़-तोड़ और हिन्दुत्व की राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। वे नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में इसे साबित कर चुके हैं। यही कारण है कि BJP ने झारखंड में स्थानीय नेतृत्व को किनारे कर उनके कंधे पर जिम्मेदारी सौंपी है।
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- एक अच्छे व्यक्ति को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया गया
चंपाई के BJP में शामिल होने की अटकलों पर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा, ‘मैंने यह बात सिर्फ खबरों में सुनी है। मेरे पास कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है। वे एक अच्छे मुख्यमंत्री के तौर पर झारखंड की सेवा कर रहे थे। सब कुछ केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर करता है। वह एक बहुत बड़ी शख्सियत हैं। झारखंड के 3.5 करोड़ लोग उनके काम से खुश थे, लेकिन जिस तरह से उन्हें सीएम पद से हटाया गया, वह दुर्भाग्यपूर्ण था। यह एक झटका था कि एक अच्छे व्यक्ति को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया गया। उनका क्या दोष था?’
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