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मुंबई, एजेंसी। भारत में कारखानों में या अन्य श्रम प्रधान नौकरियों (ब्लू-कॉलर) में ज्यादातर का वेतन 20 हजार रुपये प्रति माह या उससे कम है। प्रौद्योगिकी से जुड़े श्रम प्रधान भर्ती मंच वर्कइंडिया की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, 57.63 प्रतिशत से अधिक श्रम प्रधान नौकरियां 20 हजार रुपये प्रति माह या उससे कम वेतन सीमा में आती हैं। यह दर्शाता है कि कई श्रमिक न्यूनतम मजदूरी के करीब कमाते हैं। लगभग 29.34 प्रतिशत श्रम प्रधान नौकरियां मध्यम आय वर्ग में हैं, जिनमें वेतन 20 हजार से 40 हजार रुपये प्रति माह है।
बचत या निवेश नहीं कर पाते
रिपोर्ट में कहा गया है, कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा वित्तीय तनाव से जूझ रहा है और आवास, स्वास्थ्य सेवा व शिक्षा जैसी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। इस सीमा में आय से आवश्यकताएं तो पूरी हो जाती हैं, लेकिन बचत या निवेश के लिए बहुत कम गुंजाइश बचती है। यह इस श्रेणी के कार्यबल के एक बड़े हिस्से की आर्थिक कमजोरी को उजागर करता है।
आंकड़ों से पता चलता है कि श्रम क्षेत्र में कम वेतन वाली नौकरियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उच्च आय के लिए सीमित अवसर हैं। यह असमानता न केवल कार्यबल के एक बड़े हिस्से के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि के लिए भी व्यापक निहितार्थ रखती है। – नीलेश डूंगरवाल, वर्कइंडिया के सीईओ और सह संस्थापक
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