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नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली में सीवर ओवरफ्लो की बढ़ती शिकायतों को लेकर जल मंत्री आतिशी ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को पत्र लिखकर नाराजगी जताते हुए शिकायतों के निपटारे का निर्देश दिया है। उन्होंने लिखा कि बार-बार कहने के बाद भी अगर कार्रवाई नहीं हो रही है तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। सीवर ओवरफ्लो से प्रभावित कई इलाकों का जिक्र करते हुए कहा कि ब्यूरोक्रेसी का मुखिया होने के नाते आपकी जिम्मेदारी है कि इसका समाधान किया जाए। आतिशी ने पत्र में कहा…‘मुझे दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से सीवर ओवरफ्लो के संबंध में कई शिकायतें मिल रही हैं। पटपड़गंज गांव, शशि गार्डन, खिचड़ीपुर, सुभाष पार्क, राजनगर पार्ट 2, सत्य निकेतन, आरकेपुरम, जेड ब्लॉक रंजीत नगर, फरीदपुरी, बुद्ध नगर, पांडव नगर, डब्ल्यूईए करोलबाग, गढ़ी गांव, पिलांजी, चंद्रावल, कोटला, सराय काले खां बस्ती, जमरूदपुर, चिराग दिल्ली समेत कई इलाकों से सीवर ओवर फ्लोर की समस्या है। लगातार सीवर ओवरफ्लो एक गंभीर समस्या है। उन इलाकों में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।
जल मंत्री ने लिखा की सीवर ओवरफ्लो होने के कारण पीने की आपूर्ति वाला पानी भी कई जगह दूषित हो रहा है। यदि इस पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो इसकी वजह से एक गंभीर स्वास्थ्य संकट खड़ा हो सकता है। मैंने शिकायतों पर स्थानीय प्रतिनिधियों और दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकें की हैं। इस दौरान संबंधित अधिकारियों को शिकायतों वाली जगहों की सूची भी दी गई हैं। उसके बाद भी जमीनी स्तर पर समन्वय नहीं होने के कारण गतिरोध बना हुआ है। शहरी विकास विभाग, दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग समस्या का समाधान करने के बजाय आरोप-प्रत्यारोप में लगे हुए हैं। नतीजतन, दिल्ली के लोग परेशान हो रहे हैं।
कोई कदम नहीं उठाने का आरोप
जल मंत्री ने पत्र में कहा कि बतौर मुख्य सचिव नौकरशाही का प्रमुख होता है। मुखिया होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है कि मुद्दों को सुलझाएं, ताकि लोगों को सरकारी अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा न भुगतना पड़े। मैंने कई बार मौखिक और लिखित रूप आपको इस मुद्दे को लेकर निर्देश जारी किया, लेकिन मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ है कि आपकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो कि स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने अंत में मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि सीवर ओवरफ्लो से संबंधित समस्या की खुद निगरानी के साथ उसका समाधान निकालें। उन अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करें जो इसके लिए जिम्मेदार हैं।
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