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चतरा के टंडवा में संचालित शिवपुर रेलवे साइडिंग से जुड़े विस्थापित और प्रभावित रैयतों ने अपने हक और अधिकार की लड़ाई को लेकर अब आर-पार की लड़ाई के मुड में हैं।
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रेलवे साइडिंग से जुड़े विस्थापित और प्रभावित रैयत अपने हक अधिकार और रोजगार की मांग को लेकर रैयत विस्थापित मोर्चा के बैनर तले पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र और तीर धनुष के साथ एकजुट होकर धरने पर बैठे हैं।
धरने से पूर्व एकजुट होकर सभी रैयतों ने शिवपुर रेलवे साइडिंग पहुंचकर रैंक लोडिंग के कार्य को बन्द करवा दिया। जिसके बाद धरना स्थल पर पहुंच एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर आवाज को बुलंद किया।
सोलह सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन
आंदोलन पर बैठे रैयत सोलह सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन पर बैठे हैं। जिनमें रेलवे साइडिंग में स्थानीयता के आधार पर शत् प्रतिशत रोजगार मुहैया कराना,प्रदुषण और उड़ते धूलकण को लेकर समुचित समाधान व कोल ट्रांस्पोर्ट के लिए आम सड़क के बजाए दूसरा ट्रांसपोर्टिंग सड़क बनाए जाने सहित अन्य मांगे शामिल हैं।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता मनोज चंद्रा ने कहा कि यहां के मूल रैयत अपना जल जंगल और जमीन देकर अपने हक की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं। जिन रैयतों के हरे-भरे खेतों को उजाड़कर रेलवे साईडिंग का निर्माण कराए जाने के साथ कोयले का रैंक लोडिंग का कार्य शुरू कराया गया,उस रेलवे साइडिंग में एक भी मूल रैयतों को रोजगार मुहैया नहीं कराया जा सका है जिससे वे अपने घर परिवार का भरण-पोषण कर सके।
इस बार की लड़ाई आर पार की लड़ाई
वहीं आंदोलन पर बैठे उन्होंने कहा कि इस बार की लड़ाई आर पार की लड़ाई है। वहीं आंदोलन कर रहे रैयतों ने बताया कि हमारी लड़ाई आर-पार की लड़ाई है। इस बार जब तक सीसीएल प्रबंधन हमारे हक और अधिकार की बात नहीं करती है तब तक हम सभी अपना धरना प्रदर्शन और आंदोलन जारी रखेंगे।
रैयतों का कहना है कि जल जंगल और जमीन हमारी है लेकिन हमारे जमीन पर नौकरी और कमाई दिल्ली व बिहार के आलावे अन्य राज्यों के लोग कर रहे हैं। रैयतों ने कहा कि सीसीएल और उसके अंदर कार्य करने वाली कॉरपोरेट कंपनियां स्थानीय रैयतों का शोषण कर रही है। जो अब नहीं चलने दिया जाएगा। अब साईडिंग के रैक में कोयले का लोडिंग तब ही होगा जब हमारी मांगों पर विचार किया जाएगा।
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