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American Army In Diego Garcia: भारत के दक्षिण में स्थित हिंद महासागर एक विशाल समुद्री इलाका है जिस पर न केवल चीन बल्कि अमेरिका के अलावा दूसरी विश्व की ताकतें नजर बनाए रखती हैं. कारण, ये एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है. अमेरिका से 20 हजार किलोमीटर से भी दूर होने के बाद भी यूएस आर्मी ने इस महासागर में एक सैन्य अड्डा बनाया है, जगह डिएगो गार्सिया आईलैंड जो एक छोटी सी पिल की तरह दिखता है.
पिछले महीने, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने प्रशांत वायु सेना के ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत हिंद महासागर में दो बी-52 बमवर्षक विमान तैनात किए थे. इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यह वाशिंगटन की हिंद महासागर रणनीति का बढ़ता हुआ केंद्र बन गया है, जिसके केंद्र में विवादित द्वीप डिएगो गार्सिया है.
डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन का था कंट्रोल
यूके ने ऐतिहासिक रूप से डिएगो गार्सिया को नियंत्रित किया है लेकिन 1966 में यूएस ने बेस के लिए 50 साल का पट्टा ले लिया था. अब इस पट्टे को 2036 तक बढ़ा दिया गया है. स्थानीय आबादी को विस्थापित कर दिया गया है और इस क्षेत्र में बाहरी लोगों के आने जाने पर पाबंदी लगा दी गई. रिपोर्ट्स बताती हैं कि अमेरिकी लड़ाकू जेट विमानों ने इस बेस से अफगानिस्तान और इराक पर बमबारी मिशन शुरू किए हैं.
संयुक्त राष्ट्र में घोषित किया मॉरीशस का हिस्सा
संयुक्त राष्ट्र की स्पेशल कोर्ट ने डिएगो गार्सिया को मॉरीशस का हिस्सा घोषित किया है इसके बाद भी अमेरिका और ब्रिटेन दोनों ही इस इलाके को खाली करने से इनकार कर रहे हैं. इस अड्डे का सामरिक महत्व बहुत अधिक है. साथ ही ब्रिटेन अमेरिका की मौजूदगी के बदले में किराया नहीं लेता है. अप्रैल में अमेरिका ने ट्रेनिंग प्रोग्राम की आड़ में वहां दो बी-52 बमवर्षक विमान तैनात किए. इससे चीन, ईरान-इराक और अफ्रीका जैसे देशों सहित एशिया भर में सैन्य अभियानों के लिए उसके इरादे उजागर हुए.
अमेरिका ने यह दावा करके अपनी स्थिति का बचाव किया है कि अगर डिएगो गार्सिया को मॉरीशस को वापस कर दिया गया तो यह संभवतः चीनी नियंत्रण में आ सकता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाएगी. मॉरीशस और चीन के बीच मजबूत संबंधों के बावजूद, उनके बीच कोई सुरक्षा समझौता नहीं है.
1971 के युद्ध के दौरान भारत ने की थी चिंता व्यक्त
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय रणनीतिकारों ने डिएगो गार्सिया में अमेरिकी उपस्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की थी. उस समय कोल्ड वार के चलते अमेरिका पाकिस्तान के साथ गठबंधन कर रहा था. हालांकि भारत ने युद्ध जीत लिया लेकिन पाकिस्तान को अमेरिकी सैन्य सहायता की संभावना चिंता का विषय बनी रही.
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