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नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों पर जारी अत्याचार के विरोध में शुक्रवार को मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक नारी शक्ति मार्च निकाला गया। नारी शक्ति फोरम की ओर से मार्च का आह्वान किया गया था, जिसमें शामिल होने के लिए कई राज्यों के हजारों लोग पहुंचे। बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित कराने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया। मौन मार्च में डॉक्टर, वकील, शिक्षक, प्रोफेसर, व्यापारी, छात्र सहित हर क्षेत्र के लोगों ने हिस्सा लिया। मंडी हाउस से मार्च करीब दोपहर 12 बजे पुलिस की कड़ी सुरक्षा में शुरू हुआ। इसमें नई दिल्ली की सांसद बांसुरी स्वराज, पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत भी शामिल हुईं। हाथ और मुंह पर काली पट्टी बांधकर हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। मार्च में जनपथ से भाजपा नेता नूपुर शर्मा भी शामिल हुईं। वहीं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और दूसरे हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
हिंदुओं का विश्वास है वसुधैव कुंटुबकम…
मार्च में शामिल महिलाएं और पुरुष हाथों में ‘हिंदुओं का विश्वास है वसुधैव कुंटुबकम, हिंदुओं के मानवाधिकार हनन पर दुनिया चुप क्यों, ऑल आइ ऑन बांग्लादेश, 1971 में बांग्लादेश में हिंदू 14 फीसदी, 2024 में बांग्लादेश में हिंदू आठ फीसदी के पोस्ट बैनर लेकर पहुंचे थे। महिलाओं ने हाथों में केसरिया रंग का झंडा थामा हुआ था। मार्च में शामिल डॉक्टर ग्लैडबिन त्यागी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद हिंदुओं को हिंसा से जूझना पड़ रहा है। वहां की सरकार को हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
उदयपुर से साइकिल चलाकर दिल्ली पहुंचीं डिंपल
मार्च का हिस्सा बनने के लिए राजस्थान के उदयपुर से डिंपल भावसार 800 किलोमीटर साइकिल चलाकर मंडी हाउस पहुंचीं। उन्होंने कहा कि आखिर यह हिंसा कब थमेगी? बांग्लादेश में चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। दुनिया ने चुप्पी साध रखी है। इसको लेकर मन में सवाल खड़े होते हैं।
डॉक्टर मामले को लेकर मौन रखा
मार्च दोपहर एक बजे के करीब जंतर-मंतर पर पहुंचा। उसके बाद जनसभा हुई। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी और हत्या के मामले को लेकर एक मिनट का मौन रखा गया। जनसभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि हिंदुओं के मानवाधिकार पर वैश्विक चुप्पी को लेकर सवाल खड़े होते हैं।
लोगों में डर का माहौल
लोगों ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के आठ फीसदी लोग रह गए हैं। 1971 में यह संख्या 14 फीसदी थी। बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है। वहां के हिंदू समुदाय के लोग डर के माहौल में रहने को मजबूर हैं। दलितों को निशाना बनाया जा रहा है। आखिर सत्ता परिवर्तन के बाद हिंदुओं को क्यों निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश की सरकार हिंदुओं को सुरक्षा प्रदान करें।
किसने क्या कहा…
मार्च में शामिल होने के लिए पालम से आई हूं। बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ बहुत गलत हो रहा है, लेकिन हिंदू समुदाय जाग चुका है। अब वह भी अपने खिलाफ होने वाली हर हिंसा को लेकर विरोध कराएगा।
– बिंदु सिंह
हिंदू समुदाय वसुधैव कुंटुबकम में विश्वास रखता है। वह हिंसा का विरोध करता है, मगर धर्म के नाम पर बांग्लादेश में हो रही हिंसा का खामियाजा हिंदुओं को भुगतना पड़ रहा है। यह बहुत गलत है।
– श्याम सुंदरी
बांग्लादेश की सरकार को हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। वहां पर महिलाओं पर भी बहुत अत्याचार किया जा रहा है। इस कारण वह घर से बाहर भी नहीं निकल पा रही हैं।
– पूनम देवी
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