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How Dinosaurs Died: कहां जाता है कि पृथ्वी पर साढ़े 6 करोड़ साल पहले डायनासोर रहा करते थे. डायनासोर का राज हुआ करता था, लेकिन एक उल्का पिंड ऐसी गिरी की उसने पूरे डायनासोर को खत्म कर दिया. पूरी पृथ्वी पर तबाही सी मच गई थी और डायनासोर का नामोनिशान मिट गया.
साइंस जर्नल ने बीते रोज 15 अगस्त को एक ऐसी रिपोर्ट पेश की, जिसने बताया कि डायनासोर को धरती से खत्म करने वाला उल्का पिंड कहां से आया था. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह उल्कापिंड बृहस्पति ग्रह की कक्षा से काफी दूर बना था. उस उल्का पिंड के गिरने से मेक्सिको में एक बड़ा गड्ढा हो गया था. यह गड्ढा इतना विशाल था कि इसका ज्यादातर हिस्सा समुद्र में है. वैज्ञानिकों ने इस पर काफी विश्लेषण किया, जिसके बाद यह पता चला कि यह एक सी-टाइप का एस्टेरॉयड था. पहले बताया गया था कि यह एस्टेरॉयड नहीं बल्कि एक धूमकेतु है.
जोरदार टक्ककर खाकर आया था पृथवी पर
तलछट के इस विश्लेषण में वैज्ञानिकों ने तलछट के नमूनों में रूथेनियम के आइसोटोप आंकने के लिए एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया. रूथेनियम एक ऐसा तत्व है जो एस्टेरॉयड में आमतौर पर पाया जाता है, लेकिन पृथ्वी पर इसे ढूंढना बेहद ही दुर्लभ है. इससे पता चला कि तलछट के नमूनों में तत्व विशेष रूप से किसी जोरदार टक्कर के प्रभाव से आया है.
भविष्य में मिल सकेंगे कई उपाय
कोलोन यूनिवर्सिटी के भू रासायनिक मारियो फिशर इस विश्लेषण के प्रमुख हैं और उन्होंने अपनी स्टडी से निकले रिजल्ट्स पर जोर दिया है. उन्होंने बताया कि यह एक एस्टेरॉयड था जो बृहस्पति ग्रह से भी कई कोसों दूर से आया था. इस प्रकार के एस्टेरॉयड के साथ टक्कर होना दुर्लभ माना जाता है. इन स्टडीज को समझ कर हम आने वाले समय में किसी भी प्रकार के खतरे से बच सकते हैं. इससे यह भी पता चल सकता है की धरती पर पानी कहां से आया है.
बृहस्पति ग्रह से बहुत दूर बना एक कार्बनिक उल्कापिंड था
वैज्ञानिकों का कहना है कि रूथेनियम के आइसोटोप के इस्तेमाल से हम सौरमंडल के बाहरी सी टाइप के कार्बनयुक्त उल्कापिंडों और अंदर टाइप-एस के सिलिकेट उल्कापिंड के बीच का अंतर पता कर सकते हैं. उन्होंने बताया की डायनासोर को खत्म करने वाला उल्कापिंड बृहस्पति ग्रह से बहुत दूर बना एक कार्बनिक उल्कापिंड था. इस बात की जानकारी पहले भी हो चुकी थी, लेकिन सटीक जवाब नहीं मिले थे. उन्होंने बताया कि अधिकतर एस्टेरॉइड या फिर उल्कापिंड के टुकड़े जब पृथ्वी पर गिरते हैं तो वह इस प्रकार के होते हैं. उनका कहना था कि स्टडीज यह कहती है कि पृथ्वी पर टक्कर खाने से पहले यह बृहस्पति के एस्टेरॉइड बेल्ट से होकर निकला होगा. उनका कहना है कि स्टडी यह नहीं बता सकती की टक्कर होने से पहले यह एस्टेरॉयड किस जगह पर था.
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